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कचरा डंपिंग साइट पर पौधे लगाने की योजना को लगे ब्रेक

10:41 AM Apr 25, 2024 IST
जींद में हांसी रोड पर नगरपरिषद का कचरा डंपिंग जोन, जहां पौधे लगाये जाने थे। -हप्र
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जसमेर मलिक/हप
जींद, 24 अप्रैल
शहर में हांसी रोड पर नगरपरिषद की ठोस कचरा डंपिंग साइट पर 1500 से ज्यादा पौधे लगाकर इसे ग्रीन बफर जोन बनाने की योजना अधर में लटक गई है। नगर परिषद प्रशासन ने बफर जोन योजना के लिए जो 15 लाख रुपए से ज्यादा की जो राशि वन विभाग के पास जमा करवाई थी, वह राशि वन विभाग ने नगरपरिषद को वापस लौटा दी है।
हांसी रोड पर नगरपरिषद की लगभग 15 एकड़ जमीन पर ठोस कचरा डंपिंग साइट है। शहर से हर रोज निकलने वाले 200 टन से ज्यादा ठोस कचरे को इसी डंपिंग साइट पर डंप किया जाता है। पिछले दिनों जब देश के सभी शहरों की स्वच्छता रैंकिंग जारी की गई थी, तब जींद की स्वच्छता रैंकिंग पिछले साल के मुकाबले कई अंक लुढ़क गई थी। इसके लिए हांसी रोड पर नगरपरिषद के ठोस कचरा डंपिंग जोन को भी एक बड़ा कारण माना गया था।
नगरपरिषद प्रशासन ने हांसी रोड पर अपने ठोस कचरा डंपिंग साइट पर को ग्रीन बफर जोन बनाने की योजना पिछले साल बनाई थी। इसके तहत 26 सितंबर 2023 को नगरपरिषद प्रशासन ने जींद के वन विभाग के पास 15 लाख 43 हजार रुपए की राशि जमा करवाई थी। इस राशि से वन विभाग को डंपिंग जोन साइट पर जामुन, शीशम, नीम, अर्जुन, हाथीफल, गुलमोहर, बांस, जमोआ, शहतूत और सिरस आदि के लगभग 1500 से ज्यादा पौधे लगाने थे। यहां वन विभाग को पौधे लगाने के बाद 31 मार्च 2026 तक उनकी देखरेख भी करनी थी। इस पूरी कवायद पर 15 लाख 43 हजार से ज्यादा की राशि खर्च होनी थी। यह सारा पैसा नगरपरिषद ने वन विभाग के पास जमा करवा दिया था। वन विभाग इस साइट पर पौधारोपण शुरू नहीं कर पाया है। उसने नगरपरिषद की ग्रीन बफर जोन के लिए मिली 15 लाख से ज्यादा की राशि नगरपरिषद को वापस लौटा दी है।
पीएलए अकाउंट नहीं खुलना बताया वजह
ठोस कचरा डंपिंग साइट पर ग्रीन बफर जोन योजना के तहत पौधारोपण नहीं हो पाने को लेकर वन विभाग का अपना तर्क है। जींद के वन मंडल अधिकारी पवन ग्रोवर ने कहा कि जो पैसा नगरपरिषद ने वन विभाग को पिछले साल दिया था, वह नगरपरिषद को वापस लौटा दिया गया है। इसका कारण यह है कि इस पैसे के लिए पीएलए अकाउंट नहीं खुल पाया। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो यह पैसा लेप्स हो जाता।

कार्यकारी अभियंता ने कहा, मामले की लेंगे जानकारी
नगरपरिषद के कार्यकारी अभियंता सतीश गर्ग का कहना था कि वह वन मंडल अधिकारी से पूरे मामले की जानकारी लेंगे। जहां तक पीएलए अकाउंट खुलवाने की बात है, तो यह प्रक्रिया वन विभाग को करनी है।

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