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‘क्लीन इंदौर’ के ‘ग्रीन इंदौर’ में तब्दील होने का जज्बा

07:50 AM Jul 16, 2024 IST
‘क्लीन इंदौर’ के ‘ग्रीन इंदौर’ में तब्दील होने का जज्बा
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हेमंत पाल

किसी शहर को जीत की कितनी आदत पड़ जाती है, यह इंदौर के बहाने देखा और समझा जा सकता है। ये वो शहर है, जो कई मामलों में देश को रास्ता दिखा चुका है। स्वच्छता में लगातार सात बार देश में नंबर वन रहने वाला इंदौर अब एक दिन में सर्वाधिक पौधे रोपने वाले शहर के रूप में भी अव्वल हो गया। इस शहर में 14 जुलाई को 12 घंटे में 12 लाख 65 हजार से ज्यादा पौधे रोपकर एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया गया, जिस पर सिर्फ इंदौर या मध्य प्रदेश ही नहीं पूरा देश गर्व कर सकता है। जब पर्यावरण की स्थिति बिगड़ रही हो, तो ऐसे अभियान किसी भी शहर के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। यही इंदौर ने भी किया। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटों में इंदौर में 12 लाख 65 हजार से ज्यादा पौधे रोपे, जो कि 11 लाख की घोषणा से कहीं ज्यादा है। वैसे घोषणा दो सप्ताह में 51 लाख पौधे रोपने की है, जो काम चल रहा है। आयोजन स्थल पर जब ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को प्रमाण पत्र सौंपा तो शहर का सीना गर्व से चौड़ा होना स्वाभाविक था।
इंदौर को अभी तक देश में स्वच्छता, स्वाद, सहयोग, सुशासन और सहभागिता के लिए जाना जाता रहा हैं। अब यह शहर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में वृहद पौधरोपण के लिए भी दुनियाभर में जाना जाएगा। इंदौर में 12.65 लाख पौधे रोपने का यह अनोखा रिकॉर्ड पूरी दुनिया में शहर को लोकप्रियता भी दिलाएगा। अभी तक यह रिकॉर्ड असम के नाम था जहां एक दिन में 9 लाख 26 हजार पौधे रोपे गए थे, अब इंदौर उससे कहीं आगे निकल गया। अभी तक इंदौर को स्मार्ट सिटी, मेट्रो सिटी, क्लीन सिटी, मॉडर्न एजुकेशन हब की पहचान मिली थी, अब ये ‘ग्रीन सिटी’ के नाम से भी जाना जाएगा। इस बात में भी शहर ने अपना सिर ऊपर किया कि जन सहभागिता से किसी भी अभियान को कैसे सफल बनाया जा सकता है, इंदौर ने यह फिर साबित करके दिखा दिया। इस अभियान को नाम दिया गया ‘एक वृक्ष मां के नाम।’ अभियान को यह नाम भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था।
दरअसल, ये पूरा आइडिया नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का था। जो उन्हें इसलिए आया कि पिछले कुछ महीनों में निर्माण कार्यों, नए फ्लाईओवर और मेट्रो प्रोजेक्ट की वजह से शहर में हजारों पेड़ कट गए। इसका नतीजा यह हुआ कि इस बार गर्मी के मौसम में शहर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। जबकि, सामान्यतः इंदौर में पारा 41 या 42 डिग्री से ऊपर नहीं जाता। लोगों ने पेड़ कटने के लिए सरकार और नगर निगम पर उंगली उठाई। संभवतः तभी इस विचार ने जन्म लिया होगा, जो अपने लक्ष्य तक पहुंचा।
यह अभियान किसी एक व्यक्ति या नगर निगम या संगठनों का अभियान नहीं था। बल्कि, इंदौर के करीब 40 लाख लोगों ने इस अभियान में भाग लिया। सभी किसी ने किसी रूप में पौधरोपण के अभियान से जुड़े थे। 60 हजार लोग तो उस रेवती रेंज इलाके में सुबह से पहुंच गए थे, जहां यह अभियान होना था। शहर के करीब 200 संगठनों और 50 से ज्यादा स्कूलों के बच्चों, पुलिस और सेना के जवान और हर वो संगठन जो शहर से जुड़ा है वे अपने सदस्यों के साथ वहां मौजूद रहे। यहां तक कि सौ से ज्यादा एनआरआई ने भी पौधा रोपा। इतना ही नहीं दिव्यांगों ने भी अभियान में भागीदारी की। इस अभियान को पूरा करना बेहद मुश्किल चुनौती थी, जिसके लिए सरकार और प्रशासन को सिर्फ 46 दिन मिले। लक्ष्य के अनुरूप इतने बड़े स्थान का चयन, इतने पौधों का इंतजाम, पहले से गड्ढे खोदकर रखना, फिर आने वाले लोगों को बारिश के बीच दिनभर रोकने के इंतजाम करना भी किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन, यह मौसम भी लोगों का जोश, जुनून और उत्साह नहीं तोड़ पाया। शाम को 6 बजे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के वहां मौजूद अधिकारियों ने जब यह घोषणा की, की पौधारोपण 11 लाख से कहीं ज्यादा हो गया, लोग झूम उठे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रेवती रेंज परिसर में आयोजित ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि वे लगाए गए पौधों का अपने बेटे की तरह पालन करें। यह वृक्ष आगे एक मां की तरह आपकी चिंता करेगा। इस अभियान मे‍ं सीमा सुरक्षा बल के दो हजार जवानों ने हजारों पौधों का रोपण किया। ढाई हजार से अधिक एनसीसी विद्यार्थियों ने इस अभियान में भाग लिया।
मध्यप्रदेश को भारत का लंग्स भी कहा जाता है, जो पूरे देश को ऑक्सीजन देने का काम करता है। प्रदेश का 31 प्रतिशत इलाका वन क्षेत्र है और देश का 12 प्रतिशत वन क्षेत्र मध्यप्रदेश में हैं। इससे मध्य प्रदेश में पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है। प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व, 11 नेशनल पार्क और 24 अभ्यारण है। यहां कूनो अभ्यारण्य में बाहर से चीते भी लाए गए हैं। लेकिन, पौधरोपण के वर्ल्ड रिकॉर्ड ने सारी उपलब्धियों को पीछे छोड़ दिया।

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लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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