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आंसुओं से बयां हो रहा आशियाने उजड़ने का दर्द

07:29 AM Aug 18, 2023 IST
मंडी के शिल्हा कीपड़ में बेघर हुए एक परिवार की महिला बच्चे को गोद में लेकर बिलखते हुए और ढाढस बंधाते हुए स्थानीय पार्षद राजेंद्र मोहन।

पुरुषोत्तम शर्मा/निस
मंडी, 17 अगस्त
गत 13 अगस्त की सुबह साढ़े पांच बजे के करीब मंडी नगर निगम के नेला वार्ड स्थित शिल्हा कीपड़ गांव में लोगों की नींद अभी पूरी तरह से टूटी भी नहीं थी कि मूसलाधार बारिश के चलते गांव के पीछे की पहाड़ी दो जगहों से कहर बनकर टूट पड़ी और देखते ही देखते गांव के बीच से होकर गुजरने वाले दो नाले विकराल रूप धारण कर अपने साथ पेड़, पत्थर और मलबे का सैलाब लेकर ऐसे बढ़े कि लोगों के खेत, बागीचे रसोईघर, गौशाला और पुराने घरों को तहस-नहस कर गए। लोग जब तक संभलते, एक-दूसरे को मदद के लिए पुकारते, पत्थर और मलबा गांव की सड़क, नाले और खेतों ही नहीं, लोगों के घरों में घुस चुका था। गनीमत यह रही कि सुबह का समय था, लोग आनन-फानन में बिना कुछ लिए ही घरों से बाहर निकल गए, अन्यथा बहुत बड़ा जानी नुकसान भी हो सकता था।

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मलबे में अपनी किताबों को निहारता नन्हा बालक।

यह हादसा कितना बड़ा था, इसका अहसास मौके पर जाकर और लोगों से बात करने पर होता है। वहां हर रोती हुई आंख से निकलने वाले आंसू बर्बादी और आशियानों के उजड़ने की दास्तां बयां कर रहे हैं। शिल्हा कीपड़ निवासी बिशंबर सिंह ने बताया कि 13 अगस्त की सुबह पांच बजकर चालीस मिनट पर भारी बारिश के बीच नाले में अचानक बाढ़ और मलबा आने से उनका रसोईघर कम स्टोर और गौशाला ढह गई। आंगन में मलबा भर गया। उनकी पत्नी निर्मला ने रोते हुए बताया कि उनकी सौ साल की मां को किसी तरह घर से बाहर निकाल कर सुरक्षित एक के बाद एक तीन घरों में पहुंचाया। अंत में महेंद्र सिंह के घर में सुरक्षित ठहराया है।
ठेकेदार प्रकाश पटियाल उर्फ बबली का दस कमरों का पक्का मकान नाले की जद में आने से मकान की छत और कमरे मलबे से भर गए हैं। इस परिवार को किसी तरह जान बचाकर देवता के मंदिर में शरण लेनी पड़ी है। प्रकाश के बेटे माेहित ने बताया कि सुबह पांच बजकर चालीस मिनट पर उनके पिता ने कहा कि बाहर शोर हो रहा है। उसकी बहन सुशीला ने देखा कि बाहर नाला पानी से भरा हुआ है। इसके बाद उसके पिता मकान की छत पर गए तो मलबे में फंस गए। उन्हें किसी तरह बाहर निकाला। इतने में पूरा घर मलबे से भर गया। एक भी चीज बाहर नहीं निकाल पाये । यहां तक कि बच्चों की किताबें भी मलबे में पड़ी हुई हैं।
गांव की ओनम पुत्री पवन कुमार और सुनिधि पुत्री प्रदीप कुमार ने बताया कि घर के आसपास पत्थर आ रहे थे। वे सामान लेकर भागने लगे और एक-दूसरे की मदद करने लगे। गांव के दलित परिवार नागेंद्र का कच्चा मकान मलबे से भर गया है। उसकी बहू सरोज गोद में दूधमुहीं बच्ची लेकर नम आंखों से अपने उजड़े हुए आशियाने को देखती है।

मुख्यमंत्री ने किया सरकाघाट के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा

मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू बृहस्पतिवार को सरकाघाट में प्रभावितों से मिलते हुए। - सभी चित्र : निस

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बृहस्पतिवार को मंडी जिला के सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में भारी बारिश से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर प्रभावित लोगों से संवाद किया और राज्य सरकार की ओर से उन्हें हर संभव मदद के प्रति आश्वस्त किया। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों की मरम्मत के लिए प्रभावित परिवारों को एक-एक लाख रुपये की राशि प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक आपदा से सीधे प्रभावित ग्राम पंचायत गैहरा के 23 प्रभावित परिवारों से भी संवाद किया और इनमें से प्रत्येक परिवार को एक-एक लाख रुपये प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आपदा से लगभग 10,000 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है। इन कठिन चुनौतियों के बावजूद प्रदेश सरकार उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग कर प्रभावित व्यक्तियों को मुआवज़ा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। पत्रकारों के सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की अंतरिम राहत की पहली किस्त अभी लंबित है।

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