पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश पर शायद ही अमल हुआ : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली, 4 नवंबर (एजेंसी)
दिवाली पर राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर में जबरदस्त वृद्धि पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गंभीर चिंता जताई। अदालती आदेशों के उल्लंघन का संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि पटाखों पर प्रतिबंध के उसके आदेश का शायद ही पालन किया गया।
अदालत ने दिल्ली सरकार और पुलिस आयुक्त से यह बताने को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, ब्रिकी और उन्हें फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध संबंधी आदेशों को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अखबारों में प्रकाशित उन खबरों का हवाला दिया, जिनमें पटाखों पर प्रतिबंध से जुड़े अदालती आदेशों के उल्लंघन का जिक्र किया गया है। पीठ ने दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया।
पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे और दिल्ली सरकार के वकील से कहा, ‘दिवाली के दौरान प्रदूषण का मुख्य कारण पटाखे फोड़ना था और अगर अदालत के आदेशों पर अमल नहीं किया जाएगा, तो अराजक स्थिति पैदा होगी।’ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की।
मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट’ की एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया है कि दिवाली पर प्रदूषण का स्तर एक दिन पहले की तुलना में लगभग 30 फीसदी बढ़ गया।
आग में घी दिवाली के दिन ज्यादा जली पराली
पीठ ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों को अक्तूबर के अंतिम 10 दिनों में खेतों में आग और पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि पर 14 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। उसने सीएसई रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि खेतों में आग लगाने की घटनाएं दिवाली से एक दिन पहले 160 थीं और दिवाली के दिन 605 हो गईं।