नयी ब्याज दर से पहले 'फिक्स्ड रेट' का देना होगा विकल्प
मुंबई, 18 अगस्त (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे कर्ज ले चुके ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं। आरबीआई ने ब्याज दरें बढ़ने के बीच लोगों को कर्ज के जाल में फंसने से बचाने के लिए यह कदम उठाया है।
केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) ब्याज से कम हो गई थी, जिसके चलते मूल राशि में लगातार वृद्धि हुई थी। केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है और ग्राहकों को इसके बारे में सही तरीके से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है।
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘कर्ज की मंजूरी के समय बैंकों को अपने ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि मानक ब्याज दर में बदलाव की स्थिति में ईएमआई या कर्ज की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।' केंद्रीय बैंक ने कहा, नीति के तहत ग्राहकों को यह भी बताया जाए कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा। साथ ही कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ईएमआई या ऋण की अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं। अधिसूचना में कहा गया है कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की अनुमति दी जाए। यह सुविधा उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए।
अगले साल से नहीं वसूल सकेंगे 'दंडात्मक ब्याज'
आरबीआई ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ‘दंडात्मक ब्याज' को अपना राजस्व बढ़ाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई है। केंद्रीय बैंक ने अधिसूचना में कहा कि बैंक और अन्य ऋण संस्थानों को एक जनवरी, 2024 से दंडात्मक ब्याज लगाने की अनुमति नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि दंडात्मक शुल्क उचित होना चाहिए। यह किसी कर्ज या उत्पाद श्रेणी में पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए। अधिसूचना में कहा गया है कि दंडात्मक शुल्क का कोई पूंजीकरण नहीं होगा।