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दयालु योजना में पात्र पर अधिकारी ने नहीं दिखाई दया, पीड़ित ने आयोग से लगाई गुहार

07:29 AM Jul 11, 2025 IST
दयालु योजना में पात्र पर अधिकारी ने नहीं दिखाई दया  पीड़ित ने आयोग से लगाई गुहार
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जसमेर मलिक/ हप्र
जींद, 10 जुलाई
प्रदेश सरकार की दयालु योजना में जिला प्रशासन के संबंधित अधिकारियों ने एक पात्र व्यक्ति पर दया नहीं दिखाई तो उसने हरियाणा मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए जींद के डीसी और हरियाणा परिवार सुरक्षा ट्रस्ट के सीईओ से एक महीने में विस्तृत रिपोर्ट आयोग के पास भिजवाने के आदेश दिए हैं।
शिकायतकर्ता का नाम आयोग ने गोपनीय रखा है। दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना (दयालु) के अंतर्गत जींद के एक पात्र शिकायतकर्ता के दावे को जींद में संबंधित विभाग ने रिजेक्ट कर दिया। इस पर शिकायतकर्ता ने हरियाणा मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया। उसने आयोग को बताया कि उसके दिवंगत पिता की मृत्यु प्रमाण पत्र में दर्ज आयु परिवार पहचान पत्र में दर्ज आयु से मेल नहीं खाती थी। इस कारण से योजना के अंतर्गत उसका दावा खारिज कर दिया गया। हालांकि, यह अंतर एक टाइपिंग त्रुटि थी, जिसे बाद में ठीक कर दिया गया था और संशोधित मृत्यु प्रमाण पत्र जमा कर दिया गया था। इसके बावजूद संबंधित विभागों द्वारा दावा दोबारा नहीं खोला गया और न ही उस पर विचार किया गया।
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि ऐसी योजनाएं समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सामाजिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। सही दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के बावजूद दावे को नकारना योजना की भावना और दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है। आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसंपर्क अधिकारी डॉ पुनीत अरोड़ा ने बताया कि हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जींद के डीसी तथा हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास, योजना भवन, पंचकूला के प्रशासनिक अधिकारी से एक महीने में विस्तृत रिपोर्ट इस मामले में पेश करने को कहा गया है। आयोग ने अपने आदेशों में कहा है कि रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाए कि दस्तावेज़ सही किए जाने के बावजूद मामला पुनः क्यों नहीं खोला गया। योजना में पुनर्विचार की क्या व्यवस्था है, और भविष्य में ऐसी चूक से कैसे बचा जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की गई है। साथ ही आयोग ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे शिकायतकर्ता के मामले की दोबारा गंभीरता से जांच करें। उसे उचित प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर दें और समयबद्ध तरीके से सहायता सुनिश्चित करें।

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