मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

संस्कारों का प्रेरक अग्निपथ

11:36 AM Jun 18, 2023 IST
Advertisement

रश्मि खरबंदा

पुस्तक ‘रिश्तों की आंच’ का प्रथम संस्करण 2016 में प्रकाशित होने के बाद लेखक सूरज सिंह नेगी इस पुस्तक के दूसरे संस्करण को पाठकों के समक्ष लेकर आए हैं। पेशे से कलेक्टर और तजुर्बेकार लेखक की प्रेरणा साधारण व्यक्ति, समाज, प्रकृति, जीवन मूल्य, संस्कार प्रमुखता से रहे हैं। इनका सामंजस्य पुस्तक में बखूबी मिलता है।

Advertisement

प्रस्तुत कहानी का नायक रामप्रसाद छोटे से गांव का होनहार छात्र है। उच्च शिक्षा एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए उसका जीवन एक अनहोनी के कारण दुर्गति का मोड़ ले लेता है। ज़िम्मेवारी के बोझ तले वह अपने व अपने परिवार को दुख की घड़ी में भी संभालता है। मजबूरी और गरीबी उसे शहर की राह पर ले जाती हैं। अनजाने और तेज़ गति के उस उल्लासहीन शहर में उसका एकमात्र अनूठा सहारा बनता है- मां का दिया हुआ नीम का पौधा। जैसे-जैसे पौधा बड़ा होता है, रामप्रसाद को कई उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ता है। वह पेड़ उसके हर सुख-दुख का साथी है। रिश्ते कच्ची मिट्टी की भांति रूप बदलते हैं। परंतु पेड़ की जड़ों ने जैसे मृदा को पकड़ा हो, ऐसा ही मज़बूत रिश्ता उस नीम और नायक का होता है।

कहानी के किरदारों के साथ पाठक हमसफ़र-सा हो जाता है। मुख्य पात्र की पीड़ा अपनी जान पड़ती है। वह साधारण आदमी जटिल परिस्थितियों में असाधारण क्षमता से कायम रहता है। बेटा, भाई, पति, पिता, कर्मचारी का किरदार वह समर्पण से निभाता है और संस्कारों के अग्निपथ पर कायम रहता है।

आजकल की दुनिया में स्वार्थी, प्रतिस्पर्धी और चापलूस लोगों को उन्नति करता देख ईमानदार इंसान थक कर अपने मूल्यों को किनारे कर देता है। ऐसे वातावरण में, अपने पथ पर अडिग चलने वाले की कहानी, यह उपन्यास एक सुखद अहसास देता है।

पुस्तक : रिश्तों की आंच लेखक : डॉ. सूरज सिंह नेगी प्रकाशक : हैरिटेज पब्लिकेशन्स, जयपुर पृष्ठ : 168 मूल्य : रु. 300.

Advertisement