हर स्त्री में मां
आध्यात्मिक जीवन में डूबने के बाद स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने गृहस्थ जीवन का परित्याग कर दिया। कालांतर में उनकी पत्नी शारदा मणि महज उनकी शिष्या के रूप में रही। वे तेरह साल तक अपने पीहर में रहीं। वे भी गंभीर धार्मिक प्रकृति की थीं। स्वामी रामकृष्ण जब लंबे अंतराल के बाद अपने गांव पहुंचे तो शारदा मां भी ससुराल पहुंची। एक दिन उन्होंने स्वामी जी से पूछा, ‘जब आपने अपना समस्त जीवन काली मां को समर्पित करना था तो विवाह क्यों किया?’ तब रामकृष्ण परमहंस बोले, ‘निस्संदेह, मैं हर कार्य उनकी आज्ञा से करता हूं।’ मां शारदा ने प्रतिप्रश्न किया ‘फिर आप मुझे किस दृष्टि से देखते हैं?’ तब स्वामी रामकृष्ण ने कहा कि ‘मां काली कहती हैं कि वे हर स्त्री में रहती हैं। इस दृष्टि से तुम भी मेरे लिये मां स्वरूप ही हो।’ मां शारदा अपने पति की आस्था व समर्पण से अभिभूत हुईं। मां शारदा को स्वामी जी की पहली शिष्या के रूप में मान्यता मिली है।
प्रस्तुति : डॉ. मधुसूदन शर्मा