सबसे अनूठी है श्रीराम कला केंद्र की रामलीला
रेणु खंतवाल
दिल्ली में श्रीराम भारतीय कला केंद्र में आयोजित रामलीला जिसे श्रीराम शीर्षक दिया गया है, देशभर में आयोजित अन्य रामलीलाओं से कई मायनों में अलग है जैसे इसका आयोजन समय। जहां अन्य रामलीलाएं नौ दिन चलती हैं और रावण दहन के बाद श्रीराम के राज्याभिषेक पर समाप्त होती हैं, वहीं श्रीराम भारतीय कला केंद्र की यह रामलीला रोज शाम 6:30 शुरू होकर रात्रि 9:30 बजे पूर्ण हो जाती है। यानी पूरी रामलीला को आप तीन घंटे में देख लेते हैं। अगले दिन फिर से पूरी रामलीला होती है।
रामलीला को इस तरह संवादों, चौपाइयों, भजन, संगीत, नृत्य, ग्राफिक्स के माध्यम से डिजाइन किया गया है कि कोई सीन नहीं छूटता। वे सभी दृश्य जो अन्य रामलीलाओं में नौ दिन के समयावधि में प्रस्तुत किए जाते हैं यहां मात्र ढाई घंटे में पूर्ण हो जाते हैं। बीच में एक छोटा-सा ब्रेक टाइम भी होता है लगभग दस मिनट का।
दूसरी बड़ी बात इस रामलीला की यह है कि जहां अन्य रामलीलाएं दशहरे वाले दिन समाप्त हो जाती हैं, यह रामलीला पहले नवरात्रि से शुरू होकर धनतेरस तक चलती है। रामलीला को संवादों, संगीत और नृत्य से इस तरह सजाया गया है कि वह बहुत अद्भुत प्रस्तुति बन जाती है। इसमें कई नृत्य शौलियों को शामिल किया गया है जैसे कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, कलारीपयट्टू, मयूरभंज, छाऊ आदि। गायन में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के रागों में पिरोए भजन व गीतों को शामिल किया गया है। सभी कलाकारों के आभूषण और वस्त्रों को खासतौर पर डिजाइन किया जाता है जो कि राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स से प्रेरित होकर केंद्र की निदेशक पद्मश्री शोभा दीपक सिंह ने खुद तैयार किए हैं। वे ही इस रामलीला की निर्माता-निर्देशक भी हैं। शोभा जी की माता जी सुमित्रा चरतराम जी ने इस रामलीला को शुरू किया था। इस साल यह इस रामलीला का 67वां संस्करण है।
शुरू से केंद्र की रामलीला तीन घंटे की रही है। करीब 40 से 45 कलाकार मिलकर रामलीला का मंचन करते हैं। जो विदेशी रामलीला देखने आते हैं उनके लिए मंच के साथ ही संवादों का अंग्रेजी अनुवाद भी प्रस्तुत होता रहता है।
श्रीराम भारतीय कला केंद्र की रामलीला की प्रथम प्रस्तुति जब हुई थी तो पहले मुख्य अतिथि नेहरू जी थे, उन्होंने रामलीला भी देखी। उसके बाद तो इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, कई प्रधानमंत्री केंद्र की रामलीला का आनंद ले चुके हैं। केंद्रीय मंत्रियों के अलावा कई देश विदेश के गणमान्य लोग भी रामलीला देखने आते हैं। लालकृष्ण आडवाणी कई बार रामलीला देखने आते हैं और कई दृश्यों में वे भावुक हो जाते हैं।