मिशन जो लाया चांद का टुकड़ा
देवेश प्रकाश
महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं में जनरल स्टडीज का दायरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। अब सिर्फ आईएएस के एग्जाम में ही नहीं बल्कि करीब-करीब सभी तरह की परीक्षाओं में जनरल स्टडीज के व्यापक दायरे से सवाल पूछे जाते हैं। करंट अफेयर्स भी इसका अहम भाग है। हाल की महत्वपूर्ण घटना होने के मद्देनजर पेश है- नासा तक को हैरान करने वाला चीन के चंगा-6 सफल मून मिशन का ब्यौरा।
खास है उपलब्धि
इन दिनों चीन के मून मिशन चंगा-6 (चांग’ई-6) की खूब चर्चा है। हो भी क्यों न, इसके जरिये चीन ने वह कर दिखाया है, जो खुद को अंतरिक्ष की महाशक्ति मानने वाला अमेरिका भी नहीं कर सका। जी हां, चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिसने सबसे पहले चांद की ‘फार साइड’यानी सबसे दूर वाले इलाके में रोवर उतारा और अपने अगले ही मिशन में चांद के इस दूरस्थ इलाके से चट्टान के टुकड़े और मिट्टी के नमूने लाकर सबको हैरान कर दिया है। ऐसा करके चीन ने नये सिरे से चंद्रमा में मौजूद संसाधनों को समझने और वहां इंसानों की बस्तियां बनाने की संभावनाओं पर रोशनी डाली है।
दूसरा अनोखा व सफल चंद्र मिशन
गौरतलब है कि चांद की ‘फार साइड’में अपना मिशन उतारने वाला चीन दुनिया का पहला देश है। साल 2019 में चीन ने चंगा-4 (चांग’ई-4) मिशन को चांद के इस दूसरे हिस्से पर उतारा था, जिसमें युतु-2 नाम का एक रोवर था। यह रोवर चांद के इस इलाके पर चलने वाली धरती का पहला चंद्र रोवर था। अपनी इस सफलता के बाद चीन की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनएसए ने इसी साल 3 मई 2024 को अपने वेनचांग अतंरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से चंगा-6 (चांग’ई-6) रोबोटिक लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन को लांच किया था। इसे 53 दिनों के बाद चांद से चट्टानों के टुकड़े और मिट्टी के नमूने लेकर धरती वापस आना था। यह बहुत ही जटिल और संवेदनशील मिशन था। लेकिन योजना के मुताबिक यह मिशन सफल रहा।
मिट्टी के नमूनों में गूढ़ रहस्य
पूरे 53 दिनों बाद चंगा-6 (चांग’ई-6) चांद से नमूनों को लेकर इनर मंगोलिया के रेगिस्तान में उतरा और इस सफलता से चीन ही नहीं, पूरी दुनिया के अंतरिक्ष वैज्ञानिक झूम उठे। दरअसल चंगा-6 अपने साथ चांद के जो सैंपल लेकर आया है, वह अंतरिक्ष के इतने गूढ़ रहस्य खोल सकता है, जिनके बारे में हमने अभी तक कल्पना भी न की हो। वास्तव में आजतक दुनिया के मून मिशन सिर्फ चांद के उस गड्ढों वाले इलाके तक ही पहुंचते रहे हैं, जो इलाका पृथ्वी से दिखता है। लेकिन चीन उस इलाके पर पहले अपने रोवर मिशन को पहुंचाया और फिर अगले चक्कर में उस इलाके से वैज्ञानिक नमूने लाकर वह महारत हासिल कर ली है।
नयी अंतरिक्ष होड़
चीन ने अपनी इस सफलता के जरिये उस अंतरिक्ष होड़ को फिर से शुरू कराने में सफलता हासिल की है, जो होड़ पिछली सदी में 60 और 70 के दशक में तत्कालीन सोवियत संघ और अमेरिका के बीच हुई थी। चीन साल 2030 तक इंसान को चांद पर भेजने जा रहा है और फिर कुछ ही सालों के भीतर वह अंतरिक्ष में इतना बड़ा स्टेशन बनाने की सोच रहा है जिस पर कई सौ वैज्ञानिक आराम से रहते हुए काम कर सकते हैं। इसके लिए चीन के पास 10 लूनर मिशन की एक रूपरेखा है, जिसके 6 लूनर मिशन अभी तक पूरे हो चुके हैं। चीन, रूस और अमेरिका के बाद चांद पर पहुंचने वाला तीसरा देश था और चौथा देश भारत बना है।
रिसर्च स्टेशन की योजना
चीन ने न सिर्फ चांद के सबसे अंधेरे हिस्से में पहुंचकर अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े हैं बल्कि वह इसी क्षेत्र में अपना रिसर्च स्टेशन भी बनाना चाहता है। पहले यह कई अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को एक हवा-हवाई दावा ही लगता था, लेकिन गत 25 जून को चंगा-6 (चांग’ई-6) का रि-एंट्री मॉड्यूल इनर मंगोलिया इलाके में योजना के मुताबिक गिरा।
चांद के निर्माण काल से जुड़ी सामग्री
चीन का चंगा मिशन जो नमूने लाया है, उन पर पहले कुछ दिन चीन के वैज्ञानिक रिसर्च करेंगे और फिर वे इन नमूनों को दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों के साथ साझा करेंगे। ये सैंपल बहुत ही दुर्लभ हैं। वास्तव में चांद की सतह से खुदाई करके चीनी रोबोटिक आर्म ने करीब 4 अरब साल पुराने क्रैटर से मिट्टी निकाली है, वही मिट्टी कैप्सूल लेकर धरती पहुंचा है। चीन के वैज्ञानिक अब इस सैंपल के जरिये सोलर सिस्टम के बनने की गंभीरतापूर्वक स्टडी कर सकेंगे। क्योंकि माना जा रहा है कि यह मिट्टी लगभग उसी दौर की है, जब चांद का निर्माण हुआ होगा।
-इ.रि.सें.