नाले, जोहड़ किनारे दुर्दशा के आंसू बहा रहे शहीद स्मारक
सुरेंद्र मेहता/ हप्र
यमुनानगर, 15 जून
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा...। देश की आजादी के लिए और उसे बकरार रखने वालों को याद करने के लिए इस कविता की पंक्तियां अक्सर दोहराई जाती हैं, लेकिन क्या वास्तव में शहीदों की चिताओं पर मेले लगते हैं। कहीं उन्हें याद किया जाता है। जिले की बात की जाए तो शायद नहीं।
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शहीदों के गांव-गांव में स्मारक बनाए जाने थे। इसको लेकर बजट अलाट हुआ। लेकिन अमर शहीदों के स्मारक, शिलापट ऐसी-ऐसी जगह स्थापित कर दिये गये जो शहीदों का सम्मान की बजाय अपमान के रूप में देखा जा रहा है।
गुमथला, जयपुर, पालेवाला, केल, साबापुर ,नयागांव में दौरा करने के बाद पाया कि साबापुर में नाले के बिल्कुल किनारे यह शहीद का शिलापट स्थापित किया गया है। नयागांव में जौहड़ किनारे स्मारक/शिलापट स्थापित किया गया है। गुमथला में जहां यह स्मारक एवं शिलापट स्थापित हैं, वहां गंदगी की भरमार है। योजना के मुताबिक़ अधिकारियों ने यहां-वहां स्मारक बनवा दिए, लेकिन उन पर पत्थर लगाना और शहीदों के बारे में कुछ लिखना प्रशासन भूल गया। कहीं जहां शिलापट बनाए गए हैं, वहां क्या लिखा गया है, वह भी पढ़ा नहीं जा रहा। शहीद सम्मान स्मारकों की हालत यह है कि इसके आसपास आवारा पशु विचरण करते हैं।
अधिकारियों ने की खानापूर्ति
इंकलाब मंदिर के संस्थापक अधिवक्ता वरयाम सिंह ने हरियाणा व केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लेकर आरोप लगाया है कि वीर शहीदों को इन स्मारक के जरिए सम्मान देने की बजाय उनका अपमान किया गया है। नियम अनुसार इस तरह के स्मारक सरकारी भवनों, धर्मशालाओं, मंदिरों के आसपास बनाए जाने चाहिए। उन पर संगमरमर का पत्थर लगाना चाहिए,ताकि आने-जाने वाले लोग उन्हें नमन करें और उनका रखरखाव हो सके, लेकिन यह शिलापट्ट ऐसे स्थान पर बनाए गए हैं जहां न तो आम लोगों का आना-जाना रहता है और न ही प्रशासनिक अधिकारियों का। ऐसा लगता है प्रशासनिक अधिकारी केंद्र व प्रदेश सरकार के आदेश पर सिर्फ खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं। उन्होंने इस सारे मामले की जांच व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।