मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच
शिमला, 2 मई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव में शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है। शिमला सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी व भाजपा के सुरेश कश्यप के बीच है। चुनाव में विनोद सुल्तानपुरी की जीत का दारोमदार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के अलावा 5 कैबिनेट मंत्रियों पर है। भाजपा के सुरेश कश्यप की जीत का जिम्मा पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा सरकार में मंत्री रहे नेताओं पर है।
शिमला संसदीय सीट 1998 तक कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग रही। इससे पहले सिर्फ 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे बालक राम कश्यप ही यहां से चुनाव जीत सके थे। 1980 से 1998 तक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी के पिता केडी सुल्तानपुरी लगातार छह बार यहां से सांसद रहे। 1999 में हिविकां उम्मीदवार के तौर पर सुक्खू सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल यहां से चुनाव जीते। शांडिल 2004 के चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए तथा कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनावी रण में उतर कर विजयी हुए। मगर इसके बाद 2009 और 2014 में भाजपा के वीरेंद्र कश्यप तथा 2019 में सुरेश कश्यप यहां से सांसद चुने गए। ऐसे में बीते डेढ़ दशक से कांग्रेस शिमला लोकसभा सीट पर जीत को तरस रही है।
आगामी 1 जून को होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा जीत का चौका लगाने के लिए प्रयासरत है। शिमला लोकसभा सीट पर लगातार चौथी जीत दर्ज करने के मकसद से भाजपा ने पन्ना प्रमुख सम्मेलन शुरू कर दिए हैं। इन सम्मेलनों के जरिए भाजपा मतदाताओं की नब्ज टटोल रही है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जहां लगातार पन्ना प्रमुखों के सम्मेलनों में शिरकत कर रहे हैं, वहीं डॉ. राजीव बिंदल भी लगातार सिरमौर, शिमला व सोलन जिलों में सक्रिय हैं। इसके अलावा पार्टी ने तमाम संगठनों के पदाधिकारियों, पूर्व व मौजूदा विधायकों को प्रचार में झोंक दिया है। स्टार प्रचारकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली करवाने की योजना पर भी भाजपा काम कर रही है।
क्षेत्र के 17 विधायकों में से भाजपा के सिर्फ तीन
संसदीय सीट में शिमला के 7 विधानसभा क्षेत्रों के अलावा सोलन व सिरमौर जिलों के 5-5 विधानसभा हलके शामिल हैं। 17 हलकों में से भाजपा के सिर्फ तीन विधायक हैं। साथ ही एक निर्दलीय विधायक का भी पार्टी को समर्थन है। संसदीय क्षेत्र से सुक्खू सरकार में रोहित ठाकुर, हर्षवर्धन चौहान, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह व धनी राम शांडिल मंत्री हैं। इसके अलावा तीन सीपीएस भी सरकार में हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष भी शिमला संसदीय क्षेत्र से हैं। ऐसे में विनोद सुल्तानपुरी की जीत सुनिश्चित करने के मकसद से तमाम मंत्री व सीपीएस सुक्खू सरकार की उपलब्धियों को भुनाने में लगे हैं। घर घर सरकार की उपलब्धियों के प्रचार की योजना है। इसके अलावा मोदी सरकार भी कांग्रेस के निशाने पर है। बहरहाल, शिमला संसदीय हलके में रोचक मुकाबले के आसार हैं।