मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

सत्ता का मोह और निर्मोही राजनीति

07:59 AM May 02, 2024 IST
Advertisement

शमीम शर्मा

वसीम बरेलवी का शे’र है :-
उसी को जीने का हक है जो इस जमाने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाये।
पता नहीं किस सरूर में यह शे’र लिखा गया होगा पर आज की राजनीति पर सौ फीसदी फिट बैठता है। पता ही नहीं कौन कब किधर हो जाता है। समझ नहीं आता व्यक्ति का मुंह देखकर वोट दें या पार्टी का। मुझे तो लगता है कि राजनीतिक पार्टी एक ऐसा शब्द है जिसके प्रति किसी की कोई लॉयल्टी नहीं होती। कोई भी किसी पार्टी को कभी भी छोड़ सकता है, रौंद सकता है, गाली बक-बक भड़ास निकाल सकता है। मलाई चाटने के बाद पार्टी के पतीले को लात मार सकता है। गोया नेता न हुआ, तीन तलाक लेने वाला पति हो गया।
जिस पार्टी के कंधे पर चढ़कर हमारे नेता विजयश्री हासिल करते हैं, वे वक्त पड़ने पर उसी पार्टी का दम भी खींच सकते हैं। घर वापसी के भाव को कलंकित कर सकते हैं।
जैसे भगवान को हमारी गलतियांे का ध्यान नहीं रहता और हमें उसकी मेहरबानियों का, उसी तरह अपने हिन्दुस्तान की जनता को नेताओं के वादों, इरादों और बातों का ध्यान नहीं रहता। विगत वर्षों में किये उनके कारनामें, लूट, स्कैम, ज्यादतियां हम उसी तरह भूल जाते हैं जैसे कोई विद्यार्थी परीक्षा भवन में पहुंचते ही अगला-पिछला सब याद किया भूल जाता है। स्कूल में मास्टर अपने बच्चों को एक बात बार-बार कहता है कि तुम याद क्यूं नहीं रखते, उसी तरह राजनीति का भी एक डंडाधारी मास्टर होना चाहिए जो लोगों को लताड़-लताड़ कर कहता रहे कि तुम अपने नेताओं के कुकृत्यों और झूठे वादों को याद क्यूं नहीं रखते? आंख मींचकर क्यूं वोट दे आते हो?
मटर छीलते हुए बच्चा बोला- इन्हें पहले की तरह ही दोबारा पैक कर दो। सब जानते हैं कि यह असंभव काम है। बस मौकापरस्त नेताओं को भी पैक कर दो। हालांकि यह भी असंभव काम है। चिंता मत करो कि लोग क्या कहेंगे? भवानी प्रसाद मिश्र का कथन है कि आप आलोचकों की परवाह मत कीजिये क्योंकि आलोचकों के कभी स्मारक नहीं बनते।
हर खूबसूरत लड़की के पीछे एक कामयाब क्रीम का हाथ होता है, उसी तरह लोकतंत्र की रक्षा में जनता का हाथ होता है। पर यह मत भूलना कि मतदान का दिन नेताओं के हाथ की आस्तीन में छिपे सांप से सावधान रहने का अवसर है।
000
एक बर की बात है अक नत्थू मचलते होये अपणी मां तै बोल्या- मां, मां मन्नैं तो मेरे खात्तर एक छोरी आप्पे टोह ली है कती चांद बरगी है। नत्थू की मां रामप्यारी मात्थे पै हाथ धरकै बोल्ली- न्यूं बता पूरणमास्सी के चांद बरगी है अक अमावस के चांद बरगी?

Advertisement

Advertisement
Advertisement