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स्मृतियों में इतिहास की जीवंत महक

11:36 AM Jun 25, 2023 IST

फूलचंद मानव

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समय, इतिहास का निर्माण करता है। इतिहास आने वाले समय के लिए जानकारियां सहेजकर रख लेता है। प्रत्येक प्रांत में संस्कृति और साहित्य के कुछ ऐसे वरदपुत्र हुआ करते हैं जो अपने कृतित्व और व्यक्तित्व के कारण छाप ही नहीं छोड़ते, इतिहास खंड का हिस्सा हो जाते हैं। डॉ. ओंकारनाथ चतुर्वेदी राजस्थान की परंपरा को साहित्य और संस्कृति के संदर्भ में मुखरित करने वाले व्यक्तियों में से एक हैं। इन्होंने महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण पर शोध, खोज, संकलन के साथ संपादन करके प्रस्तुत पुस्तक पाठकों के सामने उजागर की है। सनzwj;् 1990 में भारतीय डाकतार विभाग ने सूर्यमल्ल मिश्रण पर एक डाक टिकट भी जारी किया, जो आवरण पृष्ठ की छवि द्वारा सामने आ रहा है। यह भी एक उपलब्धि है।

सचित्र, इस कृति में संपादक ओंकार नाथ चतुर्वेदी ने 20 से ऊपर लेखों का चयन किया है। जो समय-समय पर विश्वविद्यालयों अथवा साहित्यिक संस्थाओं द्वारा लिखवाए और पढ़वाए गए हैं। या अलग-अलग समय पर पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकािशत भी होते रहे हैं। कवि और महाकवि होना एक विलक्षण प्रतिभा का सूचक है। महाकवि युगपुरुष हुआ करते हैं जो आने वाली पीढ़ियों में भी गूंज पैदा करते हैं। महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण हिंदी और राजस्थानी में रचनारत रहे, इन पर केंद्रित राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर के आयोजन करवाए गए। स्मृति ग्रंथ या अभिनंदन यूं ही तैयार नहीं होते। इनके पीछे साधन और साधना विद्यमान रहती है। प्रस्तुत कृति ओंकार नाथ चतुर्वेदी की भेंट है, जिसमें निरंजन नाथ आचार्य, सुनित कुमार चटर्जी, डॉ. तारा प्रकाश जोशी, कन्हैया सहल और प्रेमचंद विजयवर्गीय से लेकर आलमशाह खान, कमल कोठारी तक को शामिल किया गया है। इन सभी विद्वानों की स्मृतियों में इतिहास का अनुभव है, जिन्होंने व्यक्ति और रचनाकार सूर्यमल्ल मिश्रण को विषय बनाकर निबंध लिखे हैं। रामधारी सिंह दिनकर और भूतपूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी द्वारा सूर्यमल्ल मिश्रण स्मृति समारोह का उद्घाटन किया गया था। अपने व्यवहार में महाकवि विशेष की रचनात्मकता को प्रसंगानुसार प्रस्तुत भी किया था।

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इन संस्मरणों में, स्मृतियों में, लेखों में एक महक है। अतीत की महक जैसे गुजरा हुआ समय आंखों के आगे स्क्रीन की तरह बहुत कुछ दिखा रहा हो। शृंगार हो या नैतिकता, देश के उत्थान के पैमाने हों या सामाजिक अधोपतन महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण अपने व्यक्तित्व और कृतित्व द्वारा तभी अमृत पुत्र कहलाते हैं कि उन्होंने साहित्य और संस्कृति का मंथन करके समाज को जागृत करने की दिशा दिखाई।

पुस्तक : अमृत-पुत्र महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण (कृतित्व और व्यक्तित्व) संपादक : डॉ. ओंकारनाथ चतुर्वेदी प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 214 मूल्य : रु. 400.

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Tags :
इतिहास,जीवंतस्मृतियों