बाढड़ा में बाहरी का मुद्दा पड़ा भारी, पातुवास ने खिलाया कमल
प्रदीप साहू/हप्र
चरखी दादरी, 9 अक्तूबर
कांग्रेस उम्मीदवार सोमवीर सिंह श्योराण के समर्थन में बाढड़ा में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आना रास नहीं आया और उन्हें भाजपा उम्मीदवार उमेद पातुवास के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के उमेद पातुवास की रणनीति व कांग्रेस के दिग्गजों के गांवों में कांग्रेस प्रत्याशी की हार के चलते विधायक बनने में कामयाब रहे हैं। भाजपा के पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी के कांग्रेस में शामिल होने के अलावा चार पूर्व विधायकों का कांग्रेस को समर्थन देने के बाद भी भाजपा से उमेद पातुवास बाढड़ा हलका में कमल खिलाने में सफल रहे हैं।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा और ओलम्पियन स्टार प्रचारक विनेश फोगाट ने चिड़िया से लेकर कादमा तक बड़ा रोड शो कांग्रेस के सोमवीर सिंह के लिए निकाला पर वो भी काम नहीं आया। इसकी बड़ी वजह राजनैतिक विश्लेषक कांग्रेस प्रत्याशी का बाहरी होना मान रहे हैं। भाजपा के उमेद पातुवास ने बाढड़ा हलका के 239 बूथों में से 124 पर जीत दर्ज की है वहीं कांग्रेस केवल 100 बूथों पर जीत पाई। निर्दलीय प्रत्याशी सोमवीर घसोला ने 13 बूथों पर जीत मिली है। पूर्व सीपीएस रणसिंह मान व किसान नेता राजू मान के गांव लाड ने टिकट कटने के बावजूद उनकी लाज रखते हुए कांग्रेस उम्मीदवार सोमवीर सिंह को 71 वोटों से जिता दिया लेकिन नये-नये कांग्रेस में आए पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी और उनके चाचा पूर्व विधायक नरपेंद्र मांढी अपने गांव में भाजपा को 68 वोटों से जीतने से नहीं रोक सके। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगत सिंह बाढड़ा के गांव में कांग्रेस 294 मतों से पिछड़ी गई। श्योराण बाहुल्य बेरला में कांग्रेस केवल 67 वोटों से आगे रही वहीं अमन डालावास के गांव में 38 वोटों से भाजपा जीती। गोपी में भी 69 वोटों से बाजी भाजपा के हाथ रही। डॉ. धर्मेन्द्र ढिल्लों के गांव रामबास में कांग्रेस 178 मतों से भाजपा से पीछे रही वहीं दलबीर गांधी व पिंटू पहलवान के गांव झोझू कलां में कांग्रेस को 667 वोटों की करारी शिकस्त मिली।
सोमबीर घसोला का निर्दलीय के तौर पर उतरना भी कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हुआ। वहीं उमेद पातुवास के समर्थन में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व सांसद धर्मबीर सिंह ने प्रचार किया। साथ ही उन्होंने अपनी रणनीति के तहत मैदान में वोटरों तक पहुंचकर साबित कर दिया कि वोटरों से सीधा जुड़ाव ही जीत दिलवा सकता है।