कविता में तमसो मा ज्योतिर्गमय का अंतर्नाद
फूलचंद मानव
अस्ति-नास्ति राकेश प्रेम का नया काव्य संग्रह है। सम्मानित और पुरस्कृत रचनाकार राकेश प्रेम आधा दर्जन से अधिक काव्य कृतियां हिन्दी में प्रकाशित करवा चुके हैं। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के हिन्दी रचनाकारों में इन्होंने अपना विशेष स्थान चिन्तनपरक कविताओं के कारण बनाया है। मन में लय, सूक्ति, वैचारिकता, आदर्श और एक ताजगी लिए हुए इनकी कविताएं सदा प्रेरणा प्रदान करती हैं।
राकेश प्रेम चिन्तन में उतरते हुए दर्शन की ओर अग्रसर होते हैं। ऐसी दार्शनिकता पंजाब के बहुत कम हिन्दी कवियों में पायी जाती है। इन्होंने अस्ति-नास्ति की रचनाओं में जो जागृति दिखाई है उसमें सूक्तियां उजागर हो रही हैं। छोटी कविता जब बड़ा प्रभाव देने लगती है तो कवि की गिनती उच्चतर कवियों में होने लगती है। राकेश प्रेम ने भी अपनी छोटी-छोटी किन्तु सार्थक 112 पन्नों की इन कविताओं में एक आदर्श, उत्कर्ष और मर्म उजागर किया है।
प्रो. जय प्रकाश अपनी भूमिका में इसे तमसो मा ज्योतिर्गमय का अंतर्नाद घोषित करते हैं। डॉ. जयप्रकाश गहरे में उतरते हुए कविताओं की थाह लेते हैं तो रचनाकार का लक्ष्य उभरकर सामने आता है। राकेश प्रेम उर्फ राकेश मेहरा अमृतसर में अध्यापन कार्य करते हुए महाविद्यालय के प्रिंसिपल पद तक पहुंचे हैं और उन्होंने साहित्य की गहराई और उसके मर्म को भी रेखांकित किया है जो अस्ति-नास्ति की असंख्य कविताओं में झलक रहा है। मनुष्य और मन जब एक होते हैं तो रचना अपने मूल मन्तव्य की ओर अग्रसर होती है। यहां भी प्रकृति, जीव, जगत और मन इन चार खंडों में विभाजित करके अस्ति-नास्ति को प्रस्तुत किया गया है। प्रकृति से समर्पण तक, जीव से भक्ति तक और जगत से पूरे परिवार तक जब कवि अपने चिंतन का मंथन प्रस्तुत करता है तो काव्य सूक्तियां स्वत: ही ताजगी दे जाती हैं। इन कविताओं में अस्तित्व, जिज्ञासा, आशा, विवेक और मंथन की गिनती हम इसलिए करते हैं कि यहां प्रकृति का नाद उजागर हो रहा है। यों ही आत्म, चेतना, दर्शन श्रद्धा और वैराग्य के माध्यम से शीर्षक देते हुए कवि ने अपने अंतर्मन की उक्तियों को काव्यभाषा में प्रेषित कर दिखाया है। जीवन संबंध मां, बेटियां, बेटे और बच्चे शीर्षक कविताएं कवि के आसपास की ही नहीं, दूरस्थ संसार की सुध लेती रचनाएं हैं।
अस्ति-नास्ति एक सामान्य काव्य संग्रह नहीं बल्कि पंजाब की हिन्दी कविता में एक रोचक लेकिन अलग स्थान बनाने वाला ऐसा प्रयोग है जहां काव्य जगत की गहराई सूक्त वाक्य के तौर पर उजागर हो रही है। अस्ति नास्ति संग्रह में आज की कविता का विकास संपन्न हो रहा है।
पुस्तक : अस्ति-नास्ति संग्रह लेखक : राकेश प्रेम प्रकाशक : बिम्ब प्रतिबिम्ब प्रकाशन, फगवाड़ा पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 250.