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घुटनों पर बढ़े वजन का पांच गुना बढ़ता है दबाव

06:45 AM Jul 24, 2024 IST

चिकित्सा विज्ञान की उन्नति के क्रम में देश में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम का उपयोग शुरू हुआ है। सीओआरआई सर्जिकल रोबोट चिकित्सकों को अधिक बारीकी और सटीकता से कृत्रिम हड्डी को संरक्षित करने, सर्जरी के दौरान रक्तस्राव कम करने और जोड़ों के बेहतर संतुलन में मदद करता है। दरअसल, रोबोटिक प्रणाली सर्जनों को रोगी की बीमारी का सटीक आकलन करने तथा ऑपरेशन से पहले योजना बनाने में सहायता करती है। इस प्रणाली का बोनस प्वाइंट यह है कि इस प्रक्रिया में रिप्लेसमेंट के खराब होने की संभावना भी कम होती है। सीओआरआई सर्जिकल रोबोट के उपयोग से होने वाले लाभ व इससे जुड़े मुद्दों पर मैक्स अस्पताल मोहाली में आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में डायरेक्टर ऑर्थोपेडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट डॉ. जतिंदर सिंगला से अरुण नैथानी की बातचीत के अंश :

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र्जिकल रोबोट का उपयोग मुख्यत: घुटनों व हिप सर्जरी के लिये किया जाता है। अमेरिका में बना यह रोबोट एक्यूरेट सर्जरी के लिये जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि देश में पारंपरिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट प्रक्रिया की तुलना में रोबोटिक ज्वाइंट सर्जरी के कई विशिष्ट लाभ हैं। इस प्रक्रिया में कम चीरा लगना, ऑपरेशन की सटीकता, बेहतर परिणाम, ऑपरेशन के बाद जल्दी राहत तथा कालांतर शीघ्र स्वास्थ्य लाभ शामिल है। उल्लेखनीय है कि नई रोबोटिक नेविगेशन तकनीक मरीजों को परंपरागत चिकित्सकीय ज्ञान और रोबोट तकनीक से लैस वरिष्ठ चिकित्सकों के अनुभव के संयोजन का लाभ उठाने का अवसर देती है।
ऑपरेशन के बाद राहत
परंपरागत चिकित्सीय अनुभव के साथ जो हमने सीखा, उसमें रोबोट गुणात्मक वृद्धि करता है। उसके साथ हड्डियों के ज्वाइंट एलायनमेंट में मददगार है। दरअसल, रोबोट पहले योजना बनाने में मदद करता है। मार्गदर्शन करता है कि नी व हिप के सटीक एंगल क्या रहने चाहिए। यह क्रियान्वयन भी सौ प्रतिशत सही करता है। इसके जरिये ऑपरेशन से बोन कम कटती है। साफ्ट मांसपेशियों, मसलन लिगामेंट की चीर-फाड़ कम होती है। उनकी टेंशन कितनी होती है यह अब तक हम अपने हाथ से फील करते हैं। लेकिन अब कट में 0.1 मिली एक्यूरेसी होती है। एंकल एक डिग्री तक एलाइन कर पाएंगे। सेमी-ऑटोमेटिक होने के कारण इसमें मानवीय दखल है। लेकिन एक फुली ऑटोमेटिक सर्जिकल रोबोट एक बार ऑन हो जाता है तो उसे रोक नहीं सकते। यानी यदि यह गलत दिशा में गलत सर्जरी करने लगता है तो मांसपेशी कटने से रोकी नहीं जा सकती। वहीं सेमी-ऑटोमेटिक रोबोट को हम कंट्रोल करते हैं। वहीं यदि हम गलत हैं तो रोबोट हमें बताएगा। वैसे ही जैसे हवाई जहाज के ऑटो पायलट होने के बावजूद टेक ऑफ और लैंडिंग में अनुभवी पायलट की दखल जरूरी होती है।

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परंपरागत सर्जरी के मुकाबले लाभदायक
रोबोटिक सर्जरी में सर्जन एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन थ्री-डी दृष्टि प्रणाली का उपयोग करके कुछ चीरे लगाकर इसके माध्यम से ऑपरेशन करते हैं। इससे सर्जनों को प्राकृतिक रंग में शारीरिक संरचनाओं को देखने का लाभ भी मिलता है। उल्लेखनीय है कि यह तकनीक जटिल समस्याओं से ग्रस्त रोगियों के इलाज में सफल रही है। दरअसल, रोबोट बिल्ट-इन माइक्रोफोन के अलावा नेचुरल हैंड-आई कोऑर्डिनेशन की सुविधा भी प्रदान करता है, जिससे ऑपरेशन थिएटर में सहज-सरल संचार का लाभ मिलता है। जिससे जटिल सर्जरी में उच्चस्तरीय सटीकता प्राप्त की जा सकती है। फलत: नसों और अंगों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
सर्जरी में विशिष्ट लाभ
ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम से जहां ऑपरेशन में एक्यूरेसी होती है वहीं पेन कम होता है। कम रक्तस्राव, जटिलताओं से मुक्ति के साथ दवाइयों की जरूरत भी कम होती है। वहीं रिकवरी भी जल्दी होती है। इसके साथ ही कृत्रिम नी रिप्लेसमेंट की उम्र में भी दस साल तक की वृद्धि हो सकती है।


घुटनों के ऑपरेशन क्यों बढ़े
दरअसल, हमारे खानपान की गुणवत्ता घटी है। हम मिलावट वाली चीजें खा रहे हैं। रहन-सहन में बदलाव से फिजिकल एक्टीविटी कम हुई है। हम खड़े होकर ज्यादा काम करते हैं। फिटनेट आम तौर पर कम हो गई है। साथ ही अनावश्यक वजन बढ़ा है। एक बड़ी वजह यह कि ज्यादा पक्के फर्श हो गए। लोग चलते हैं तो ज्यादा प्रतिक्रियात्मक धमक पड़ती है। वहीं लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ी है। आजादी से पहले औसत आयु 35 साल के करीब हुआ करती थी। औसत उम्र 65 साल हो गई है।। दरअसल, यह बुढ़ापे की समस्या है। हां, एक कारण वेस्टर्न टॉयलेट भी हैं।
बढ़े वजन का दबाव घुटनों पर
यह एक हकीकत है कि हमारे बढ़े वजन का पांच गुना दबाव हमारे घुटनों पर बढ़ जाता है। दौड़ते समय और सीढ़ियां उतरते समय इसे महसूस किया जा सकता है। यदि किसी का वजन सौ किलो है तो घुटनों पर पांच सौ किलो का दबाव पड़ेगा। यानी एक किलो वजन बढ़ने का मतलब है कि पांच किलो दबाव घुटनों पर बढ़ जाएगा।


घुटनों में रिप्लेसमेंट के बाद सावधानी
घुटनों के रिप्लेसमेंट के बाद सबसे बड़ी सावधानी यह है कि चिकित्सक द्वारा बतायी एक्सरसाइज नियमित की जाये। यदि आपकी मसल्स कमजोर हैं तो कृत्रिम घुटनों से साम्य स्थापित नहीं होगा। उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियां शिथिल पड़ने लगती हैं। यदि मांसपेशियां मजबूत होंगी तो संतुलन से चल पाएंगे। इसके अलावा जरूरी है कि खुद को गिरने से बचाएं। बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। गिरने से हड्डियां टूट जाती हैं। खासकर मेटल इंप्लांट के पास इसके कठोर होने के कारण नी रिप्लेसमेंट टूट जाती है जिसे मैनेज करना मुश्किल हो जाता है।
खानपान में सावधानी
निश्चित रूप से हमारे खाना-पान में आई विसंगतियां हमारी बोन कमजोर होने का बड़ा कारण है। इसलिए खाने की गुणवत्ता पर ध्यान दें। हमें सब्जी का अधिक उपयोग करना चाहिए। फलों का नियमित सेवन करें। मीठे व तले-भुने से परहेज करे। साथ की तामसिक खाद्य पदार्थों से परहेज करें।

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