हाईकोर्ट का फैसला सरकार के मुंह पर तमाचा
कैथल, 12 जनवरी (हप्र)
हाईकोर्ट द्वारा दादुपुर नलवी नहर को लेकर दिया गया फैसला सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। हाईकोर्ट ने नहर के डिनोटिफाई करने के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है और सरकार को किसानों को उचित मुआवजा जारी करने का आदेश दिया है। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि कमेरे वर्ग के नेता ओमप्रकाश चौटाला ने वर्ष 2004 में इस नहर का शुभारंभ किया था। 1019 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। किसानों को मुआवजा भी दिया गया था लेकिन किसानों ने हाईकोर्ट में केस कर मुआवजा बढ़ाने की मांग की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार को किसानों को वर्ष 2016 में 2887 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा देने के आदेश दिए थे। जिसमें करीब एक करोड़ 16 लाख रुपये की राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को दी जानी थी लेकिन सरकार ने किसानों को यह मुआवजा देने की बजाए नहर को ही डिनोटिफाई कर दिया। इस नहर को यमुनानगर के दादुपर गांव से शुरू करते हुए अम्बाला के नलवा गांव तक बनाया जाना था। नहर में वर्ष 2009 से 2017 तक पानी भी आया। इस नहर को बनाए जाने का उद्देश्य खरीफ की फसलों में सिंचाई के साथ-साथ इस क्षेत्र में लगातार नीचे जा रहे भू-जल स्तर को ऊंचा उठाना था। रामपाल माजरा ने कहा कि किसान हितैषी होने का ढोंग करने वाली भाजपा सरकार ने नहर को बंद कर किसानों के हितों पर कुठाराघात किया। यह पहली देश की ऐसी नहर है, जो दस साल बाद बंद कर दी गई। अब हाईकोर्ट की जस्टिस जीएस संधावालिया व जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन ने 20 दिसंबर 2024 को सरकार के वर्ष 2018 में इस नहर को डिनोटिफाई करने के फैसले को रद्द कर दिया है।
किसानों के संघर्ष की जीत
रामपाल माजरा ने कहा कि दादुपर नलवी संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट के इस फैसले को किसानों की लंबे समय से किए जा रहे संघर्ष की जीत है। इनेलो ने भी किसानों की मांग के समर्थन में धरने का समर्थन किया था। किसानों की मांग है कि सरकार अब जल्द से जल्द किसानों को हाईकोर्ट के आदेशानुसार मुआवजा जारी करे। माजरा ने कहा कि सरकार हाईकोर्ट के आदेशानुसार किसानों को मुआवजा दे और इस नहर का निर्माण फिर से करवाए।