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ब्रेन स्ट्रोक साइलेंट महामारी का बढ़ता खतरा

11:18 AM Oct 29, 2024 IST
चंडीगढ़ में सोमवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में ब्रेन स्ट्रोक की जानकारी देते न्यूरोलॉजिस्ट। -ट्रिब्यून फोटो

चंडीगढ़, 28 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
देश में ब्रेन स्ट्रोक एक साइलेंट महामारी के रूप में उभरकर सामने आ रहा है, जिसमें लाखों लोग हर साल इसके शिकार हो रहे हैं। चिंता की बात यह है कि जागरूकता की कमी के चलते अधिकांश लोग सही समय पर इलाज से वंचित रह जाते हैं। लिवासा अस्पताल, मोहाली के न्यूरोसर्जरी और न्यूरो इंटरवेंशन डायरेक्टर डॉ. विनीत सग्गर ने इस गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रेन स्ट्रोक से हर दिन हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन नई तकनीक और समय पर इलाज से इन मामलों में जान बचाई जा सकती है। जागरूकता ही इसका सबसे महत्वपूर्ण इलाज है। डॉ. सग्गर ने बताया कि आधुनिक मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी तकनीक के जरिए ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों का इलाज 24 घंटे तक संभव है, जिससे इलाज में देरी का जोखिम घट जाता है। बिना ऑपरेशन के इस तकनीक में मस्तिष्क से रक्त का थक्का हटाया जाता है, जो गंभीर मामलों में वरदान साबित हो रहा है।
बढ़ते मामलों पर विशेषज्ञों की चेतावनी : न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक महामारी की तरह फैल रहा है और हर साल भारत में 1.5 से 2 मिलियन नए मामले दर्ज हो रहे हैं। वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई
मरीज इलाज तक नहीं पहुंच पाते। भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामले वैश्विक औसत से कहीं अधिक हैं और इसका प्रमुख कारण लोगों में इस रोग के प्रति जागरूकता का अभाव है।
समय का हर पल कीमती, तुरंत इलाज की जरूरत : ब्रेन स्ट्रोक में समय की अहम भूमिका होती है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. जसलोवलीन कौर सिद्धू ने बताया कि स्ट्रोक के बाद हर मिनट करीब 1.9 मिलियन मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। जितना जल्दी इलाज शुरू होगा, मरीज के बचने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। ब्रेन स्ट्रोक के सही इलाज के लिए विशेषज्ञों की बहु-विषयक टीम की जरूरत होती है, जिसमें इमरजेंसी डॉक्टर, न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो-रेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन और अन्य विशेषज्ञ शामिल हों।

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ऐसे करें नियंत्रित
रक्तचाप नियंत्रित रखें, स्वस्थ वजन बनाए रखें, नियमित व्यायाम करें, डॉक्टर की सलाह से बेबी एस्पिरिन लें, मधुमेह को नियंत्रण में रखें, धूम्रपान से दूर रहें, ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानें, बीएमआई को स्वस्थ स्तर पर बनाए रखें, जीवनशैली को संतुलित रखें और नियमित जांच कराएं।

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