सरकार की मंशा प्रदेश में नशा बढ़ाना नहीं : चौहान
शिमला, 27 जनवरी (हप्र)
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को मंजूरी दिए जाने के मुद्दे पर घिरी सुक्खू सरकार अब इस मामले में सफाई पेश करने लगी है। इसी कड़ी में सोमवार को मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि भांग की खेती को लेकर प्रस्तावित पायलट परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान करने के पीछे सरकार की मंशा प्रदेश में नशा फैलाना या नशे को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि भांग की औषधीय गुणवत्ता तथा इसके कच्चे माल से बनने वाली वस्तुओं को उपयोग में लाकर किसानों एवं राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि भांग की खेती को लेकर हमारी सरकार सत्ता में आने के बाद लगातार चर्चा कर रही है। इसमें कुछ समितियां बनीं और कुछ लोग बाहर भी गए।
विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा था जिसके बाद कमेटी का गठन किया गया जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक भी शामिल हुए। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही 24 जनवरी को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में सैद्धांतिक तौर पर यह फैसला लिया गया कि अभी परीक्षण के तौर बागवानी विश्वविद्यालय तथा कृषि विश्वविद्यालय मिलकर इस पर शोध करेंगे। इसमें कोई दो मत नहीं कि भांग को अपनी औषधीय, औद्योगिक और सांस्कृतिक उपयोगिता के लिए जाना जाता है। हमारी सरकार यह जानने का प्रयास कर रही है कि दुनिया के कौन-कौन देश इस विषय में कार्य कर रहे हैं। हम अपने वैज्ञानिकों को बाहर के देशों में भेजेंगे और यह जानने का प्रयास करेंगे कि उनके पास क्या तकनीक है और किस तरह से इसका उपयोग हो रहा है।
विपक्ष दे रहा मामले को तूल : नरेश
नरेश चौहान ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा प्रदेश के लोगों के जहन में यह बात डालने का प्रयास किया जा रहा है और विपक्ष भी इस मामले को तूल देने में लगा है। प्रदेश सरकार तय कर चुकी है कि वह इस विषय के सभी पहलुओं का बारीकी से अध्ययन करवाएगी और इस बारे में लोगों के सुझाव भी लेगी तथा उसके पश्चात ही किसी निर्णय पर पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि समाज हित को सर्वोपरि मानते हुए हमारी सरकार किसी जल्दबाजी के पक्ष में नहीं है।