पीड़ित गरीबों, अग्निवीरों पर सरकार मेहरबान
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 10 अगस्त
हरियाणा के उन गरीब परिवारों के लिए राहत की खबर है, जिनके मकान बारिश, बाढ़ या जलभराव की वजह से गिर जाते हैं। ऐसे परिवारों को मुआवजा देने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग नीति बनाएगा। जिन परिवारों की सालाना आय 1 लाख 80 हजार रुपये से कम है, उन्हें ही मुआवजा दिया जाएगा। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को मानसून सत्र के आखिरी दिन यह ऐलान किया। विपक्ष ने तीन दिन के सत्र के दौरान ऐसे परिवारों का मामला उठाया था। ऐसे लोगों के अलावा सीएम ने एक और ऐलान करते हुए कहा कि आग से नुकसान के नियम भी बदले हैं। अब आग चाहे किसी भी कारण से लगी हो, आपदा प्रबंधन विभाग तय मानदंडों के अनुसार इसका आकलन कर मुआवजा देगा।
केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना पर उठ रहे सवालों के बीच सीएम ने कहा कि अग्निपथ एक अच्छी योजना है। केंद्र सरकार ने योजना के अंतर्गत लौटकर आने वाले अग्निवीरों को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और असम राइफल में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इन अग्निवीरों को गारंटेड सरकारी नौकरी देगी। इस संबंध में तत्काल नीति बनेगी। कुछ निजी उद्योगपतियों ने भी इन अग्निवीरों को नौकरी देने की पेशकश की है। विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मांग उठाई कि सरकार गारंटेड रोजगार का ऐलान कर रही है तो फिर इन युवाओं को पहले ही रोजगार दे। इसके बाद जब अग्निवीर वापस लौटें तो आकर सीधे ही नौकरी ज्वाइन कर सकें।
शामलात जमीन मसले पर स्थिति की स्पष्ट
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते प्रदेश में चल रहे शामलात जमीन विवाद पर स्थिति साफ करते हुए सीएम ने कहा कि ऐसी जमीन का इंतकाल पंचायतों के नाम करवाया जा रहा है। इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। महज इंतकाल बदला जा रहा है, मलकियत में कोई बदलाव नहीं होगा। इसका मकसद अवैध हस्तांतरण को रोकना है। साथ ही, उन्होंने कहा कि जय सिंह जमीन मामले में सरकार कानूनी राय भी ले रही है। उन्होंने कहा कि पंचायत की कुछ भूमि के इंतकाल निजी लोगों के नाम हो रखे हैं। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया तो वे जमीन को इसी प्रकार बेचते रहेंगे। नदी किनारे की जमीन की मलकीयत नदी के बहाव के कारण बदलती रहती है। इस जमीन को सही मालिक या हकदार को दिलाना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए सरकार जल्द एक नया अधिनियम बनाएगी ताकि लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक मिले।