सरकार ने कृषि विभाग से सूखे से नुकसान की रिपोर्ट तलब की
शिमला, 2 दिसंबर(हप्र)
प्रदेश में 2 महीने से अधिक समय से पड़ रहे सूखे ने सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। राज्य में हालात यह है कि 70 फ़ीसदी क्षेत्र में गेहूं की बिजाई नहीं हो पाई है। ऐसे में कृषि को भारी नुकसान हुआ है। सरकार ने सूखे की वजह से खेती को होने वाले नुकसान की रिपोर्ट कृषि विभाग से तलब की है। सरकार के फरमान के बाद कृषि विभाग ने फील्ड से नुकसान की रिपोर्ट मंगवाई है। एक ओर जहां सरकार ने खेती को हुए नुकसान की रिपोर्ट तलब की है, वहीं दूसरी ओर जिलाधीशों के साथ साथ कृषि विभाग के अधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने के लिए कहा है।
हिमाचल प्रदेश में बीते सितंबर माह से बारिश न होने से रबी की फसलों पर संकट पैदा हो गया है। सबसे ज्यादा गेहूं की फसल को लेकर किसान चिंतित हैं। गेहूं की फसल का बिजाई करने का उपयुक्त समय अक्तूबर से दिसंबर तक होता है। आम तौर पर अभी तक गेहूं की फसल की बिजाई किसानों द्वारा कर दी जाती है और इन दिनों खेतों में गेहूं की फसल पर खाद डालने का काम शुरू हो जाता है लेकिन बारिश न होने से खेतों से नमी गायब है। इस कारण किसान गेहूं की फसल की बिजाई नहीं कर पाए हैं। ऐसे में अगर दिसंबर माह में भी बारिश नहीं हुई तो गेहूं की पैदावार पर संकट खड़ा तय है। इसी को लेकर अब सरकार ने विभाग से रिपोर्ट मांगी है। जिसमें अभी तक क्या नुकसान सूखे की वजह से हुआ है यह जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा एक उच्च स्तरीय बैठक भी होगी जिसमें आगामी रणनीति तैयार की जाएगी।
गौरतलब है कि राज्य के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति, किन्नौर तथा अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों को छोडक़र अन्य सभी स्थानों पर रबी की फसल लगाई जाती है। रबी की प्रमुख फसलों में गेहूं, चना, मटर, जौ, सरसों, अलसी, मसूर, आलू व तिलहन आदि शामिल हैं। इनमें से गेहूं प्रमुख रूप से उगाई जाती है।
बारिश का इंतजार एकमात्र विकल्प
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर अभी सूखे में ही गेहूं का बीज बोया जाता है तो इससे बीज खराब हो जाएगा। जब तक बारिश नहीं हो जाती और खेतों में नमी नहीं आ जाती तब तक गेहूं को बीजना उचित नहीं होगा। ऐसे में अभी बारिश का इंतजार करना होगा।