The Golden Temple : दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त रसोई, बिना भेदभाव प्रतिदिन 50,000 से अधिक लोगों का भरा जाता है पेट
चंडीगढ़, 24 दिसंबर (ट्रिन्यू)
भूखे को खाना खिलाने से बड़ा कोई काम नहीं है और अमृतसर का स्वर्ण मंदिर सदियों से यह काम बिना रुके करता आ रहा है। जी हां, स्वर्ण मंदिर यानि गोल्डन टेंपल में दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त रसोई या सामुदायिक रसोई है, जिसे 'लंगर' के नाम से भी जाना जाता है
सेवा और समानता के प्रति सिखों की प्रतिबद्धता का प्रतीक
सर्वे के अनुसार, यहां हर दिन 50,000 से 1,00,000 श्रद्धालुओं व भूखे लोगों को गर्म भोजन परोसा जाता है। यहां परोसा जाने वाला मुफ्त भोजन सामुदायिक सेवा और समानता के प्रति सिखों की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का लंगर का आनंद लेने के लिए स्वागत भी बड़ी सेवा भाव से किया जाता है, जो देश और दुनिया भर के सिख धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत सम्मान रखता है।
लंगर प्रथा की शुरुआत सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी ने 1481 में की थी। हालांकि दुनियाभर के सभी गुरुद्वारों में मुफ्त लंगर परोसा जाता है, लेकिन स्वर्ण मंदिर का लंगर अनोखा है। स्वर्ण मंदिर में सप्ताह के सातों दिन, 24 घंटे लंगर चलता है। रसोई सिख समुदाय और अन्य शुभचिंतकों से मिले दान पर स्वयंसेवकों द्वारा संचालित की जाती है।
इस सामुदायिक भोजन में शाकाहारी व्यंजन शामिल होते हैं, जैसे दाल, सब्जी, चपाती और खीर। गुरुद्वारे की रसोई में दो विशाल डाइनिंग हॉल हैं, जिसमें एक बार में 5,000 लोग बैठ सकते हैं। लोग फर्श पर बैठते हैं और स्वयंसेवक भोजन परोसते हैं। कोई कल्पना ही कर सकता है कि हर दिन इतने सारे लोगों को भोजन परोसना कितना मुश्किल होता होगा?
वहीं, सेवादार या कर्मचारी इसे एक आसान काम बना देते हैं। लगभग 300 स्थाई कर्मचारी हैं और बाकी सभी स्वयंसेवक हैं। यह सभी मिलकर सुनिश्चित करते हैं कि भोजन समय पर पकाया और पहुंचाया जाए। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहां एक चपाती बनाने की मशीन है, जिसे लेबनान के एक भक्त ने दान किया था। यह सिर्फ एक घंटे में 25,000 रोटियां बना सकती।
स्वर्ण मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त रसोई
आटा छानने और गूंथने और चपाती बनाने के लिए दूसरी बड़ी मशीनें भी हैं। स्वर्ण मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त रसोई हैं, जहां हर रोज 50,000 से ज्यादा लोगों को खाना खिलाया जाता है। एक सामान्य दिन में भोजन तैयार करने के लिए लगभग 5000 किलो गेहूं, 2000 किलो दाल, 1400 किलो चावल, 700 किलो दूध और 100 गैस सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है।