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दिव्य ध्वनि की महिमा अपार

06:57 AM Oct 30, 2023 IST
दिव्य ध्वनि की महिमा अपार
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श्रीमती प्रवीण शर्मा
गुरु कृपा से प्राप्त गुरु मंत्र शिष्य के लिए बड़े सौभाग्य की बात है। जीवन में यह घड़ी उसके शुभ कर्मों का ही फल है। कहा भी कहा गया है :-
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविन्द दियो बताय॥
प्राणी में गोविन्द यानी ईश्वर से साक्षात्कार की ललक सदा रही है। आजीवन साधक बीज मंत्र की साधना करता है। इसके उच्चारण से मन में शुद्ध भावनाओं का उदय होना स्वाभाविक है। मन शान्त होने लगता है। यह मंत्र पवित्रता, शान्ति तथा शक्ति का प्रतीक है। ईश्वर भक्ति का एक सरल माध्यम है।
गुरु तथा गुरु कृपा से उपलब्ध बीजमंत्र दोनों ही अनुपम हैं। राम हो या कृष्ण, शिव हो या ॐ, बीज मंत्र के रूप में इनकी स्तुति गोबिन्द प्राप्ति की ओर ले जाने वाली है। महाकवि तुलसीदास कृत पुस्तक विनय पत्रिका में उल्लेख है :-
वीर महा अवधारिय, साधे सिधि होय।
बेगि विलंब न कीजिए, लीजे उपदेश
बीज महामंत्र जपिये, सोई जो जपत महेश...
धार्मिक विश्वास है कि गुरु मंत्र, बीज मंत्र की शक्ति है जो भगवान रघुपति तक को मिला सकती है। ॐ प्रभु का सबसे छोटा नाम है। वेदों का सार है। अन्य मंत्रों के शुरू में इसका प्रयोग होता है। यह शुभ संकल्प और श्रद्धा युक्त प्रेरणादायक मंत्र है। इस मंत्र की दिव्य ध्वनि हमारे रोम-रोम को झंकृत कर देती है। माना जाता है कि ॐ की साधना करने वाला सांसारिक बंधनों से छूट जाता है। इसमें सत-रज-तम तथा जागृत, स्वप्न अवस्था से परे तुर्या अवस्था की अनुभूति निहित है। बीज मंत्र के जाप से साधक का मन स्थिर तो बनता ही है, तन भी कांतिवान बनता है। महाभक्त नारद जी द्वारा प्रदत द्वादशा श्रीमंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ को पाकर भक्त ध्रुव अमर हुए।
बीज मंत्र के जाप से साधक का देवत्व प्रकट होता है। वहीं छह अक्षरों वाले ‘ॐ नमो शिवाय’ मंत्र का महत्व भी कम नहीं। दरअसल बीज मंत्र के उच्चारण से सभी ज्ञानेंद्रियां अंतर्मुखी हो जाती हैं। कुछ क्षण के लिए साधक संसार से विमुक्त हो जाता है, दृश्य जगत कुछ महत्व नहीं रखता। धार्मिक विश्वास है कि बीज मंत्र चुंबक की भांति मन की गति को थामे रखता है। ध्यानरत मोनी अवस्था में एक स्थिरता को पा लेता है, निज शरीर की अनुभूति तक भूल जाता है।

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