अप्रूव्ड, अनअप्रूव्ड का खेल चुनाव में पड़ सकता है भारी
यमुनानगर, 3 मई (हप्र)
हरियाणा में अभी भी सैकड़ों कॉलोनियों को अप्रूव्ड से अनअप्रूव्ड दिखाकर रजिस्ट्री रोकी गई हैं, जिसके चलते लोग परेशान हैं। दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। जवाब नहीं मिल रहा। इनमें वह कालोनियां भी शामिल हैं जिनको बसे हुए 25 वर्ष से 50 वर्ष हो चुके हैं, पूरी आबादी है। वर्षों से नगर निगम को टैक्स दे रहे हैं, बिजली निगम ने मीटर से बिजली दी हुई है। इसके बावजूद पोर्टल पर इन कॉलोनी को अनअप्रूव्ड दिखाया गया है। इसके चलते उनकी रजिस्ट्री नहीं हो रही, लोग अपनी प्रॉपर्टी बेचने के लिए बयाना कर चुके हैं, बैंक से लोन अप्लाई कर चुके हैं, लेकिन अनअप्रूव्ड के चक्कर में काम अटका पड़ा है। पूरे प्रदेश में इस तरह के हजारों मामले हैं। इसी के चलते सरकार को भी रजिस्ट्री न होने से करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। चुनाव के बीच यह परेशानी सरकार को भारी पड़ सकती है। सत्ता पक्ष से जुड़े नेता भी मानते हैं कि पोर्टल की वजह से सरकार को नुकसान हो सकता है, लेकिन उनकी भी सुनने वाला कोई नहीं।
सरकार बार-बार दावे करती रही कि प्रदेश की सैकड़ों कॉलोनियों को अनअप्रूव्ड से अप्रूव्ड में ला दिया गया है। लेकिन जो कालोनियां वर्षों से अप्रूव्ड की श्रेणी में थी, ऐसी भी बहुत सी कॉलोनी को अनअप्रूव्ड दिखा दिया गया है।
लोगों का कहना है कि सत्ता में बैठे लोग और अधिकारी लोगों की परेशानी को नहीं समझ रहे। अब चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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प्रदेश कांग्रेस के के पूर्व महासचिव सतपाल कौशिक का कहना है कि सरकार में बैठे लोग बेवजह आम लोगों को परेशान कर रहे हैं। लोग दफ्तरों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं, किसी की कोई सुनवाई नहीं हो। अब चुनाव में लोग सरकार के पोर्टल का हिसाब चुकता करेंगे और कांग्रेस की सरकार आने के बाद इन पोर्टल से लोगों को छुटकारा मिलेगा।