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निर्जला एकादशी के व्रत का फल 24 एकादशियों के बराबर : आचार्य त्रिलोक

08:09 AM Jun 04, 2025 IST

जगाधरी, 3 जून (हप्र)
निर्जला एकादशी व्रत 6 जून शुक्रवार को रखा जाएगा। सनातन पद्धति में इस व्रत बड़ा महत्व बताया गया है। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर के आचार्य त्रिलोक शास्त्री ने बताया जो इस पवित्र एकादशी व्रत को करता है वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इसमें निर्जला व्रत रखने का विधान है। यह व्रत सबसे कठिन एकादशी में से एक माना जाता है। इसलिए इसके नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि व्रत खंडित न हो और व्रती को इसका पूरा फल प्राप्त हो सके। इसे निर्जला-एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। आचार्य का कहना है कि शास्त्रानुसार ऐसी मान्यता है कि केवल निर्जला एकादशी व्रत करने मात्र से वर्ष भर की सभी 24 एकादशियों के व्रतों का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है। अत: जो साधक वर्ष की समस्त एकादशियों का व्रत कर पाने असमर्थ हों, उन्हें निर्जला एकादशी अवश्य करना चाहिए। यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और कथा सुननी चाहिए।

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