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निराकार परमात्मा को पुकारा जाता है विभिन्न नामों से

07:26 AM Nov 19, 2024 IST
समालखा में सोमवार को संत समागम के दौरान मौजूद डिप्टी स्पीकर कृष्ण मिड्ढा और कैबिनेट मंत्री अरविन्द शर्मा। -निस

समालखा, 18 नवंबर (निस)
निरंकारी संत समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा ने लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को संबोधित किया और कहा कि संसार में हम जितनी भी चीजें देखते अथवा अनुभव करते हैं वह सारी परिवर्तनशील हैं। इनमें से किसी भी पदार्थ को शाश्वत सच्चाई नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार दिन ढलता है तब रात होती है और रात के ढलने के उपरान्त फिर से दिन की शुरुआत हो जाती है। ठीक उसी प्रकार किसी भी वस्तु अथवा पदार्थ के अस्तित्व को शाश्वत मान लेना हमारा भ्रम है क्योंकि वास्तविक सत्यता तो केवल इस निराकार परमात्मा में है जिसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। इस निरंतर एकरस रहने वाली सच्चाई को अपनाने से हम सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्ति पा सकते हैं। निरंकारी राजपिता रमित ने कहा कि निरंकारी संत समागम जीवन को गहराई और विस्तार प्रदान करता है। सदगुरु की कृपा और शिक्षाओं ने मानव अस्तित्व को असीम और गौरवशाली बना दिया है। सच्चा स्वार्थ अपने अस्तित्व को पहचानने में है।

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राजनेताओं ने लिया माता सुदीक्षा से आशीर्वाद

निरंकारी संत समागम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर कृष्ण मिड्ढा, कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार, अरविंद शर्मा और समालखा के विधायक मनमोहन भड़ाना ने सतगुरु माता सुदीक्षा एवं निरंकारी राजपिता रमित के दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त किया।

काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा तकनीक से किया जा रहा उपचार

भारत में ऐलोपैथी, होम्योपैथी ओर आयुर्वेदिक तकनीक से इलाज किया जाता है, वही विदेश में उपचार की एक और पद्धति प्रचलित है, जिसका नाम काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा तकनीक है । जिसमें बिना दवाई व इंजेक्शन के रोगी का इलाज किया जाता है। संत समागम में साधकों का इलाज इस तकनीक से किया जा रहा है। हर रोज तीन से चार हजार लोग इस सेवा का लाभ उठा रहे हैं। अमेरिका, यूनाईटेड किंगडम, कनाडा, स्पेन , फ्रांस व भारत के लगभग 25 डाॅक्टरों की टीम डाॅ जिम्मी नंदा के नेतृत्व में समागम ग्राउंड में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इलाज की यह तकनीक पूरी तरह से रीढ़ की हड्डी से जुडी है। इस तकनीक का आधार है कि हमारे शरीर में आने वाली हर व्याधि यानि किसी भी तरह की शारीरिक दिक्कत की मुख्य वजह रीढ़ की हड्डी से जुडी हुई है। काइरोप्रैक्टिक एक्सपर्ट डाक्टर जिम्मी नंदा के अनुसार रीढ़ की हड्डी से पूरे शरीर की सभी छोटी बड़ी नस -नाड़ियों का सीधा कनेक्शन है। इसलिए रीढ़ की हड्डी में आया हलका सा नुक्स किसी न किसी नस- नाड़ी को प्रभावित कर देता है, जिसकी वजह से उस नस नाड़ी से संबधित अंग में शारीरिक परेशानी पैदा हो जाती है। काइरोप्रैक्टिक तकनीक के जरिये स्पाइन स्ट्रक्चर को करेक्ट यानि रीढ़ की हड्डी के ढाँचे में आई खामी में सुधार करके इलाज किया जाता है जो सौ फीसदी साकारात्मक परिणाम देता है। समागम स्थल पर पहली बार 100 बिस्तर का अस्पताल बनाया गया है।

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