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वक्त की धारा और बदलती ज़िंदगियां

08:03 AM Nov 10, 2024 IST
वक्त की धारा और बदलती ज़िंदगियां
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सुदर्शन गासो

पुस्तक : ओक्का-बोक्का लेखक : विनोद दूबे प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज पृष्ठ : 224 मूल्य : रु. 299.

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साहित्यकार विनोद दूबे द्वारा लिखा उपन्यास ‘ओक्का-बोक्का’ मध्यवर्गीय जीवन पर लिखा एक रोचक उपन्यास है। इसमें तीन दोस्तों सुलभ, अनवर और शरद के बचपन से प्रौढ़ अवस्था तक की दोस्ती की कथा प्रस्तुत की गई है। इसके साथ ही इन्हें अपने सपनों को यथार्थ में बदलने के लिए किए गए प्रयासों और संघर्ष को भी दिखाया गया है। जीवन का वृत्तांत इस प्रकार से पेश किया गया है कि इसमें मुसीबतें और दुखांत होने के बावजूद हम इनके जीवन संघर्ष और अंतर्द्वंद्व में संतुलन भी देखते हैं, जो पाठकों को न केवल सहज रहने की दृष्टि प्रदान करता है, बल्कि अपनी ज़िंदगी में अर्थ खोजने के लिए भी प्रेरित करता है।
लेखक ने सामाजिक रिश्तों में आपसी प्रेम, सहयोग, त्याग और ईमानदारी को जिस रूप में प्रस्तुत किया है, वह प्रशंसनीय है। उपन्यास का घटनास्थल जबलपुर है, लेकिन इसका एक पात्र शरद उच्च शिक्षा के लिए मुंबई जाता है और बाद में सिंगापुर की एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी के लिए चुना जाता है, और अपने जीवन के कई साल सिंगापुर में ही व्यतीत करता है। इस तरह शरद छोटे शहर से उठकर महानगर के अनुभव ग्रहण करता है और कहता है: ‘बाहर एक अंधाधुंध दौड़ चल रही है, जहां बड़ी-बड़ी ख्वाहिशों ने हमारे पैरों में किसी बुलेट ट्रेन का इंजन बांध दिया हो।’
लेखक के अनुसार, छोटे शहरों में रिश्तों का जुड़ाव अब भी बचा हुआ है, जबकि महानगरों में यह गुम होता जा रहा है। कॉर्पोरेट जगत में तो एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ लगी हुई है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपना मन का सुख और चैन खोते जा रहे हैं। बाहर की दौड़ में हम भीतर से कटते जा रहे हैं।
लेखक का कथा बयान करने का अंदाज भी उपन्यास में दिलचस्पी पैदा करता है। पूरी कथा का तारतम्य बढ़ता जाता है। जीवन के अनुभवों और भावनाओं का सरल, स्पष्ट बयान भी देखने लायक है। दार्शनिक टिप्पणियां भी पाठकों के लिए रोचकता का आधार बनती हैं। उदाहरण के लिए— ‘प्रेम जीवन का अभिन्न अंग है। जिस इंसान ने प्रेम नहीं किया, उसे यूं समझिए कि मानव योनि में जन्म लेने का पूर्णतया लाभ नहीं ले सका।’ ‘एक किताब पूरी जिंदगी भर का अनुभव सिखा देती है।’ ‘कॉर्पोरेट की दुनिया एक फेक दुनिया है।’ ‘कोशिश करने पर सब हो सकता है।’
कथा-शैली की दृष्टि से भी यह एक सुंदर और प्रभावशाली उपन्यास है।

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