एक जीवंत यात्रा के सुखद अहसास
भारत भूषण
डॉ. अंजु दुआ जैमिनी की पुस्तक ‘22 के 22 दिन अमेरिका में’ ऐसी पुस्तक है, जो कि वहां की सपनीली दुनिया को आपके सामने परोस देती है। राहुल सांकृत्यायन ऐसे बहुभाषाविद् रहे हैं, जिनका जीवन यायावरी का अनूठा उदाहरण है।
लेखिका भी उनसे प्रेरित हैं और अमेरिका की अपनी यात्रा को जिस अनूठे और मनोरंजक तरीके से उन्हें पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है, वह पढ़ते हुए उन जगहों पर भ्रमण का रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
लेखिका ने अपने यात्रा वृत्तांत को सुबह से देर रात तक की अपनी दिनचर्या और इस दौरान उन प्रत्येक क्षणों को शब्दों में पिरोया है, जो कि भ्रमण के दौरान सामान्यतः किसी की भी चेतना से बाहर हो सकते हैं।
पुस्तक उन लोगों के लिए भी निर्देशिका का काम करती है, जो कि पहली बार अमेरिका या फिर कहीं विदेश की यात्रा पर जाना चाहते हैं।
इस पुस्तक के जरिये अमेरिकी समाज और उसकी संस्कृति को समझने का भी बखूबी मौका मिलता है।
एक जगह अमेरिकी महिला द्वारा लेखिका के परफ्यूम की तारीफ की गई तो उन्होंने लिखा। ये लोग अनजान लोगों को भी स्माइल देते हैं।
हालांकि, अमेरिकी समाज की आजकल विकट होती एक समस्या पर भी लेखिका ने ध्यान दिलाया है।
लेखिका कहती हैं, पूरब और पश्चिम का अंतर तभी समझ में आता है, जब दोनों देशों से होकर गुजरो।
इस पुस्तक को पढ़ना एक अनुभव से गुजरना है। हालांकि, जब यात्रा वृत्तांत को पढ़ें तो उसमें यह जरूरी है कि उन स्थलों का चित्र पाठक की आंखों में बन जाए।
इस पुस्तक के आखिर में एक विस्तृत कविता है, जो कि पूरी यात्रा का भावप्रवण समापन है।
वे लिखती हैं... राहुल! एक टुकड़ा तुम्हारा/मुझमें भी है बचपन से/ तब से घूम रही हूं लट्टू की मानिंद।
पुस्तक की भाषा सहज और साधारण है। सहेजे जाने योग्य पुस्तक।
पुस्तक : 22 के 22 दिन अमेरिका में लेखिका : डॉ. अंजु दुआ ‘जैमिनी’ प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 100 मूल्य : रु. 250.