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डीसी के दरबार में इच्छा मृत्यु की मांग लेकर पहुंच गया परिवार

04:28 AM Mar 26, 2025 IST
डीसी के दरबार में इच्छा मृत्यु की मांग लेकर पहुंच गया परिवार
जींद में मंगलवार को समाधान शिविर में डीसी से फरियाद लगाने के बाद मीडिया से बात करते मृतक मोहित के परिजन। -हप्र
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जसमेर मलिक/ हप्र
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जींद, 25 मार्च

जिला उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा के मंगलवार को लगे समाधान शिविर में एक अनोखी घटना सामने आई, जब एक परिवार के लोगों ने इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली। यह मांग सुनकर डीसी समेत अन्य अधिकारी हतप्रभ रह गए। इस प्रकरण ने प्रशासन और पुलिस प्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं, क्योंकि फाइनेंसरों की मनमर्जी पर अंकुश नहीं लग पा रहा। पीड़ित परिवार जिला पुलिस की ओर से जांच में कोताही बरतने से भी नाराज है। उसके अनुसार पिछले 6 महीने में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बताया गया है कि जींद में अवैध सूदखोर जरूरतमंद लोगों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। उदाहरण के रूप में 100 रुपए पर हर महीने 10 रुपए तक ब्याज वसूला जाता है और हालात ऐसे बन जाते हैं कि कर्जदार कर्ज न चुका पाने पर आत्महत्या कर लेता है।

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यह है मामला

30 सितंबर 2024 को शिवपुरी कॉलोनी के मोहित ने फाइनेंसरों से तंग आकर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में मोहित के भाई सुरेंद्र ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि मोहित ने वीटा बूथ लिया हुआ था और साथ में कबाड़ी का भी काम करता था। वर्ष 2022 में अमित के घर बेटा पैदा हुआ। जन्म से ही वह बीमार रहने लगा। बच्चे सीनू को अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उसकी बीमारी ठीक नहीं हुई। बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए हिसार से इलाज करवाने की सलाह दी। फिर सीनू को हिसार के निजी अस्पताल में दाखिल करवा दिया। अस्पताल का खर्चा बहुत ज्यादा था। उसके भाई मोहित ने शिलो नाम की महिला, जोकि जींद के जुलानी रोड पर रहती है, से 8 लाख रुपये अलग-अलग तारीखों में 10 रुपए प्रति सैंकड़ा ब्याज के हिसाब से उठा लिए। शिलो के पैसे लौटाने के लिए मोहित ने अलग-अलग लोन वाली कंपनियों से भी पैसे उठाए। फिर लोन वाली कम्पनियों की किस्तें चुकाने के लिए मोहित ने वर्ष 2024 में अलग-अलग फाइनेंसरों से पैसे उठाए।

30 सितंबर शाम को करीब 5 बजे सतीश नाम का फाइनेंसर मोहित के वीटा बूथ पर आया और अपनी किस्त मांगी, तो मोहित ने किस्त के पैसे देने के लिए कुछ समय और मांगा। सतीश ने समय देने से साफ मना कर दिया और पैसे जल्दी लौटाने की धमकी दी। फिर सतीश व मोहित दोनों घर पर आ गए और घर आते ही उनके पिता रामकुमार के सामने ही फाइनेंसर सतीश व मोहित की आपस में कहासुनी हो गई। फाइनेंसर सतीश धमकी देने लगा कि उसे किस्त चाहिए वरना वह घर से नहीं जाएगा। मोहित ने बेइज्जती महसूस कर दुकान में जाकर पंखे में फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मोहित की जेब से सुसाइड नोट मिला, जिसमें मोहित ने अपनी मौत के जिम्मेवार परवेश सरोहा, शिलो (संगतपुरा), उज्जीवन कंपनी के अनिकेत, श्री श्याम प्रॉपर्टी के सचिन गोलू, सतीश, सुनील लाठर, अमित शाहपुर, पाला नर्सी को बताया है। पुलिस ने इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया था, लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। पीड़ितों के अनुसार जांच अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

मां, पत्नी और भाई ने सुनाई दर्द भरी दास्तां

डीसी के समाधान शिविर में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे सुरेंद्र, उसकी मां राजबाला और मृतक मोहित की पत्नी ने दर्द भरी दास्तां सुनाते हुए कहा कि बीमार बेटे के इलाज के लिए फाइनेंसरों से लिए 8 लाख रुपये के बदले पूरे 19 लाख रुपए मोहित ने फाइनेंसरों को वापस लौटा दिए थे, मगर फाइनेंसर उस पर और पैसे देने के लिए दबाव बना रहे थे। मृतक मोहित की मां राजबाला ने कहा कि उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही। डीएसपी, एसपी, डीसी सभी से मिल चुके हैं, मगर उसके बेटे की जान लेने वालों की गिरफ्तारी नहीं हो रही। इसी कारण आज डीसी से पूरे परिवार ने इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है, ताकि पूरा परिवार मोहित के पास जा सके। मृतक मोहित के भाई सुरेंद्र ने कहा कि जींद का पुलिस प्रशासन अंधा और बहरा हो चुका है, जो उनके सबूत भी नहीं देख रहा। अपने भाई मोहित द्वारा फाइनेंसरों को किए गए भुगतान के सबूत दिखाते हुए सुरेंद्र ने कहा कि जब पुलिस प्रशासन उनकी इंसाफ की गुहार नहीं सुन रहा तो फिर परिवार क्या करे, सिवाय मोहित की तरह जान देने के।

यह कहते हैं सिटी एसएचओ

इस मामले में जब थाना शहर प्रभारी इंस्पेक्टर मनीष कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस की जांच चल रही है और जांच पूरी होते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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