सार-संभाल जो लाए रंगत फुलवारी में
अनु आर.
जो लोग गार्डनिंग करते हैं, जिन्हें हरियाली पसंद हो, मौसम बदलने के साथ-साथ उन्हें अपनी गार्डनिंग के क्रियाकलापों में भी बदलाव करना होता है ताकि पौधे हरे-भरे रहें। मार्च के महीने में वातावरण में थोड़ी गर्मी बढ़ जाती है, हल्की ठंड भी रहती है, पौधों के विकास के लिए यह अनुकूल समय होता है। एक ओर जहां सर्दी के मौसम में पौधों का विकास धीमा हो जाता है, मार्च आने तक मृतप्राय पौधे भी हरे हो जाते हैं, उनमें नई कोपलें आ जाती हैं और उनकी वृद्धि दर बढ़ जाती है। पौधों की पत्तियां स्निग्ध, टहनियां हरी और फूलों से फल बनने की प्रक्रिया में विस्तार होता है। ऐसे समय में गार्डन को खास देखभाल की जरूरत होती है।
रिपॉटिंग
अगर काफी दिनों से आप अपने कुछ पौधों की रिपॉटिंग करने की सोच रहे थे तो यह अनुकूल समय है। अब आप उन्हें छोटे गमलों से बड़े गमलों में ट्रांसफर कर सकते हैं। जो पौधे सर्दी के कारण मृतप्राय हो गये थे, उनकी थोड़ी-थोड़ी कटिंग लेकर उन्हें दूसरे गमलों में भी लगाया जा सकता है। क्योंकि इस समय पौधों का अच्छा विकास होता है। यदि आप अपने पौधे को छोटे से बड़े गमले में ट्रांसफर कर रहे हैं तो इसके लिए बड़े गमले की मिट्टी अच्छी तरह तैयार करें, उसमें खाद, पानी सही मात्रा में दें ताकि पौधा जल्दी विकसित हो।
प्रूनिंग के लिए मार्च का महीना अनुकूल होता है। यदि आपके गार्डेन में ऐसे पौधे हैं, जिनकी कटिंग से नये पौधे तैयार किए जा सकते हैं तो उनकी कटिंग करके उनको नये गमलों में लगाएं और यदि उन्हें फेंकना हो तो अपने कंपोस्ट वाले कंटेनर में डालें, ताकि इससे भी खाद बन सके। प्रूनिंग करते वक्त पीली पत्तियों, क्षतिग्रस्त हिस्सों और पौधों के खराब हिस्सों को निकालकर बाहर करें ताकि पौधे को पूरी खुराक मिल सके। वहीं अगर लंबे समय तक कोई पौधा विकसित नहीं हो रहा और बसंत ऋतु में भी उसमें टहनियों या पत्तों में कोई विकास के चिन्ह नजर नहीं आ रहे तो उन्हें गमले से निकालकर कंपोस्ट में डाल दें। मान लें कि अब यह पौधा दोबारा हरा नहीं हो सकता।
खरपतवार उखाड़ें
मार्च के महीने में गमलों के भीतर खरपतवार भी ज्यादा हो जाती है। पौधों को सही पोषण देने के लिए उनके आसपास लगी खरपतवार को हटा देना चाहिए। खरपतवार को ऊपर से काटने की बजाय जड़ समेत निकालें और हां, इसे अपने कंपोस्ट कंटेनर में न डालें। क्योंकि वहां पर भी यह ग्रो कर सकती है।
सिंचाई की भी जरूरत
वातावरण में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ पौधों में पानी की जरूरत भी बढ़ जाती है। इन दिनों जब भी मिट्टी सूखी लगे तो समझ जाएं कि पौधे को पानी की जरूरत है, उसे पानी दें। गमले की मिट्टी एक से दो इंच की गहराई तक नमी वाली होनी चाहिए।
मल्चिंग भी फायदेमंद
अपने गार्डन में पौधों को गर्मी से बचाने के लिए मल्चिंग भी निहायत जरूरी है। मल्चिंग से मिट्टी में खरपतवार पैदा नहीं होती, ज्यादा गर्मी से पौधे का बचाव होता है और पौधे को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते रहते हैं। मल्चिंग के लिए अपने गार्डन में ही सूखी पत्तियों, नारियल के छिलकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी के ऊपर एक-दो इंच की परत पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखती है।
-इ.रि.सें.