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विकसित भारत 2047 के स्वरूप में देश के अर्थशास्त्रियों का होगा महत्वपूर्ण योगदान : प्रो. सचदेवा

07:57 AM Dec 28, 2024 IST
दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ करते इंडियन इकोनोमिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. तपन कुमार शांडिल्य एवं कुवि कुलपति सोमनाथ सचदेवा। -हप्र

कुरुक्षेत्र, 27 दिसंबर (हप्र)
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत की जो परिकल्पना की है, उसको साकार स्वरूप देने में भारत के अर्थशास्त्रियों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 7 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रही है, आवश्यकता है इसे और अधिक विकसित करने की। भारत ने डिजीटल पेमेंट, हथियार निर्यात, अंतरिक्ष तकनीकी और उद्यमिता के क्षेत्र पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है। ये उद्गार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने बतौर मुख्यातिथि कुवि के अर्थशास्त्र विभाग एवं इंडियन इकोनोमिक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सतत, विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत विषय पर आधारित 107वें वार्षिक सम्मेलन में सम्बोधित करते हुए कहे।
इससे पूर्व इंडियन इकोनोमिक एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं कुलपति श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, के प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा की शुरुआत वैदिक काल से हुई है। ऋग्वेद व अथर्ववेद में इसके साक्षात प्रमाण मिलते हैं। भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं में अर्थशास्त्र की अर्थव्यवस्था का स्वरूप निहित है। वैदिक दर्शन में अर्थव्यवस्था प्रबंधन के विविध स्वरूप देखने को मिलते हैं। कौटिल्य का अर्थशास्त्र एवं चाणक्य नीति भारतीय सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था की धूरी है। इसी स्वरूप को भारतीय शिक्षा नीति 2020 में लागू किया गया है। इस अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर छत्तीसगढ़ के कुलपति एवं विख्यात अर्थशास्त्री प्रो. एडीएन वाजपेयी ने कहा कि वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था का जो आधुनिक स्वरूप देखने को मिल रहा है उसका श्रेय भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को जाता है। इससे पूर्व 107वीं इंडियन इकोनोमिक एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन का कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा एवं इंडियन इकोनोमिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने दीप प्रज्ज्वलन कर विधिवत रूप से सम्मेलन के शैक्षणिक सत्र की शुरुआत की।

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