मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

‘दूरी छोटी हो गई, बड़ी हुई कोस; दूर-दूर लगने लगे पड़ोस’

07:30 AM Feb 12, 2024 IST
जींद के अक्षर भवन में रविवार को आयोजित गोष्ठी में मौजूद कवि। -हप्र

जींद(जुलाना), 11 फरवरी (हप्र)
शहर की शिव कालोनी में स्थित अक्षर भवन में रविवार को जनवादी लेखक संघ जींद द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता राममेहर खर्ब कमेरा ने की। गोष्ठी में सर्व वेद प्रकाश धवन, मंगतराम शास्त्री, विक्रम सिंह राही, रमेश भनवाला,सोहनदास, कीर्ति इन्दौरा, ऋतु इन्दौरा, जसपाल, जयप्रकाश लुदाना, रामफल दहिया, सुरेश कुमार, प्रदीप शर्मा, प्रमोद कुमार, बालकिशन रत्ताखेड़ा व आजाद पांचाल ने शिरक्त करते हुए काव्य पाठ करते हुए अपनी कलम की धार दिखाई। इसमें राममेहर कमेरा ने कहा कि ‘दूरी छोटी हो गई, बड़ी हो गई कोस। दूर दूर लगने लगे बसते हुए पड़ोस।।’
वेदप्रकाश धवन ने मुक्तक सुनाते हुए कहा कि ‘सत्ता नशे में चूर, कौन संभाले, चलो बुल्डोजर के अपने अपने अर्थ खंगालें।’
मंगतराम शास्त्री ने हरियाणवी गजल पढ़ते हुए कहा कि ‘कुछ तो ठोक्कर लाग्यां पाच्छै आवै सै, सारी बुद्धी गूगल तै कोनी मिलदी। सीख लिये कुछ बैठ बुजुर्गां संग खड़तल, संस्किरती धन कै बल तै कोनी मिलदी।’
विक्रम सिंह राही ने अपनी व्यंग्य भरी कविताओं में कहा कि ‘गली में गूंजते इंकलाब पर एतराज़ है,उन्हें मेरे पड़ोस में कुछ पढ़े लिखे शरीफ रहते हैं।’ नवोदित कवयित्री ऋतु इन्दौरा ने अपनी कविता में कहा कि ‘मन करता है आज फिर बच्ची बन जाऊं, अपने बचपन में चली जाऊं,जब भी दिल भरे,मन रोएमां की गोद में छुप जाऊं।’
नवोदित कवयित्री कीर्ति इन्दौरा ने अपनी रचना में कहा कि ‘दिल के अंदर बसाना है तो मां बाप की तस्वीर बसाअो, दूसरों के लिए मत अपने दिल को जलाओ। प्यार करना है तो मां बाप से करो जो हर पल तुम्हारे साथ रहे।’
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे राममेहर खर्ब ने श्रोताओं व लेखकों से जनतांत्रिक मूल्यों से युक्त नागरिक समाज के निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया।

Advertisement

Advertisement