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शेयर बाजार और प्रेम में लुटे की नियति

08:06 AM Jul 02, 2024 IST
शेयर बाजार और प्रेम में लुटे की नियति
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आलोक पुराणिक

नयी सरकार बनने के बाद शेयर बाजार के सूचकांक ऊपर गये। कई नेता जो टीवी पर कहते हैं कि अर्थव्यवस्था डूब रही है, फिर ये ही नेता वापस आकर शेयर खरीद लेते हैं। शेयर ऊपर चले जाते हैं। शेयर ऊपर जा रहे हैं, नेताओं की संपत्ति ऊपर जा रही है, पर अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है। यह बात समझ नहीं आती।
पर सभी बातें अगर सबको समझ में आ जायें, तो लोकतंत्र चौपट हो जायेगा। लोकतंत्र तब ही चलता है, जब कुछ समझदार हों और ज्यादातर नासमझ हों। पब्लिक को उलझाया जाये, तब ही तो लोकतंत्र चलता है। लोकतंत्र में जो अक्लमंद हो जाता है, वो खुद नेता हो जाता है।
शेयर बाजार में शेयर ऊपर क्यों जाते हैं, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है; उनके पास भी नहीं, जो खुद को शेयर बाजार का बहुत ज्ञानी मानते हैं। शेयर बाजार में दो किस्म के कारोबारी होते हैं, एक जो बहुत कमाते हैं, एक जिन्होंने कभी अतीत में बहुत कमाया था। जो बहुत कमाते हैं, वो बहुत शाणे होते हैं, आकर बताते नहीं हैं कि हमने इतना कमा लिया। दूसरे टाइप के लोग लगातार आकर बताते हैं कि हमने इतना कमाया, उतना कमाया, आखिर में बस यही बताने के काबिल बचते हैं- एक जमाने में हम बहुत कमाया करते थे, अब तो सब चौपट हो गया। शेयर बाजार और बाबा बाजार का हाल एक-सा है, बाबा बाजार में जो बंदा किसी बाबा के हाथों ठगा जाता है वह कंज्यूमर फोरम में नहीं जाता, वह किसी और नये बाबा की तरफ चला जाता है। ऐसे ही शेयर बाजार में बंदा अगर एक शेयर में चोट खा जाता है, तो वह फिर किसी और शेयर की तरफ निकल जाता है। एक शेयर से दूसरे शेयर की तरफ निकलता रहता है ऐसा बंदा, फिर एक दिन वह फुल तबाह हो जाता है और कोई और चोट खाने काबिल बचता ही नहीं है।
शेयर बाजार ऊपर जाये या नीचे, इस धंधे में उसी को आना चाहिए, जो इसे समझता हो। वैसे एक्सपर्ट लोग कहते हैं कि शेयर बाजार प्रेम की तरह होता है, इसे समझना मुश्किल होता है। बड़े-बड़े ज्ञानी नहीं समझ पाये, तो कम ज्ञानी कैसे समझेंगे। ऐसे-ऐसे शेयरों के भाव लगातार ऊपर जाते हैं, जिनकी कंपनियां घाटे में चल रही हैं। एकदम निकम्मे और नशेबाज लड़कों के पीछे सुंदरी और कमाऊ बालिकाएं मोहित हो जाती हैं, प्रेम में और शेयर बाजार में तर्क तलाशना मुश्किल है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि प्रेम और शेयर बाजार बिलकुल ही एक जैसे हैं। दोनों में कुछ फर्क भी है। प्रेम में बंदे की जेब एक झटके में नहीं कटती, धीमे-धीमे कटती है, जबकि शेयर बाजार में तो एक ही दिन में आदमी करोड़पति से रोडपति हो सकता है। इसलिए प्रेम के मुकाबले शेयर ज्यादा घातक है, ऐसा मानना चाहिए। अक्लमंद लोग दोनों से दूर रहते हैं और परम अक्लमंद लोग दोनों में बहुत ही सावधानी से प्रवेश करते हैं।

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