ध्वस्त हुई टो-वॉल को एक साल बाद भी पक्का नहीं कर पाया विभाग
जीत सिंह सैनी/निस
गुहला चीका, 27 जून
पिछले वर्ष जुलाई माह में घग्गर नदी में भारी मात्रा में आए पानी के दबाव के चलते जहां कई जगहों से रिंग बांध टूट गया था, वहीं इस पानी ने गुहला क्षेत्र के बचाव के लिए बनाई गई टो-वॉल को भी ध्वस्त कर दिया था। टो-वॉल टूटने के बाद लाखों क्यूसिक पानी तेजी से गुहला क्षेत्र में फैल गया था, जिससे क्षेत्र में भारी तबाही हुई थी। टो-वॉल को टूटे एक साल का समय बीत चुका है। मानसून दोबारा आने का समय नजदीक है, लेकिन सरस्वती डिवीजन पिछले एक साल में टूटी हुई टो-वॉल को पक्का करने की बजाए सिर्फ योजनाएं बनाने में ही उलझा रहा।
टो-वॉल के इसी हिस्से से एक बार फिर से गुहला क्षेत्र में बाढ़ का पानी न घुस सके इसके लिए विभाग मिट्टी के थैले लगा पानी से बचाव के प्रबंध तो कर रहा है, लेकिन उसके ये प्रयास कितने कारगर हो पाएंगे यह घग्गर नदी में आने वाले पानी की मात्रा पर निर्भर करेगा। घग्गर नदी के पास बसे और पिछले साल बाढ़ का सबसे ज्यादा प्रकोप झेलने वाले गांव टटियाना निवासी गुरजंट सिंह, विक्रम सिंह, हरजिंद्र सिंह, बिंद्र टटियाना, जसपाल पाली, केवल सदरेहड़ी ने बताया पिछले साल गुहला क्षेत्र में बाढ़ के पानी ने न केवल लाखों एकड़ फसल बर्बाद की थी बल्कि चार लोगों की जान लेने के साथ दर्जनों पशु भी इस बाढ़ के भेंट चढ़ गए थे। ग्रामीणों ने बताया कि टो-वॉल को टूटे एक साल गुजर चुका है, लेकिन इस एक साल में भी विभाग इसे पक्का नहीं कर सका और अब बरसात का मौसम सिर पर आया तो मिट्टी के थैलों से कटाव को मजबूत करने का नाटक कर रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि टो-वॉल में जगह-जगह पर घुरलू बने हुए हैं। यदि समय रहते इन घुरलू को बंद नहीं किया तो ये भी बाढ़ का कारण बन सकते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यदि इस बार भी पिछले साल की तरह ही घग्गर नदी में पानी आया तो तबाही कहीं ज्यादा होगी और इसके लिए विभाग व सरकार जिम्मेवार होगी।
पहले जो टो-वॉल बनाई गई थी उसके ऊपरी हिस्सों में सरिया नहीं डाला गया था, जिसके चलते वह पानी का दबाव नहीं झेल पाई। घग्गर नदी में सवा लाख क्यूसिक पानी आने के बाद भी टो-वॉल न टूटे इसको लेकर विभाग सरकारी इंस्टीच्यूट से टो-वॉल का डिजाइन बना रहा है। टो-वॉल के निर्माण के लिए 3 करोड़ रुपये का बजट आ चुका है और अगले एक-दो सप्ताह में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। यदि जुलाई माह में ज्यादा बरसात नहीं हुई तो टो-वॉल का निर्माण भी पूरा कर लिया जाएगा। टो-वॉल में बने घुरलू को बंद करने के जिए जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं, जो जल्द ही अपना काम पूरा कर लेंगी।
-दिग्विजय शर्मा, एक्सईएन सरस्वती डिवीजन नंबर 3, कुरुक्षेत्र