सुरों की खनक से सम्मोहन की ‘सृष्टि’
सरोज वर्मा
सिंगर सृष्टि भंडारी का नया गाना ‘एक तरफ़ा प्यार’ आजकल सुर रसिकों के बीच जगह बना रहा है। इसी तरह उनके पहले भी कई गाने दर्शकों को खूब भाये। यूं भी सृष्टि भंडारी किसी परिचय की मोहताज नहीं। उन्होंने गायन कैरियर की शुरुआत मात्र तीन वर्ष की उम्र से ही कर ली थी। यह वह उम्र होती है जब बच्चे तुतलाना छोड़ साफ-साफ बोलना सीखते ही हैं। सृष्टि का पहला गाना ‘हुस्न हुस्न कातिल’ भी हिट रहा था जिसको म्यूजिक अमज़द नादीम आमिर ने दिया था। इनका अन्य कर्णप्रिय गाना है ‘आसमान ले गया... जान जान कहके मेरी जान’ जो संजीव चतुर्वेदी द्वारा लिखा गया था।
इन गानों को दी आवाज
अब तक सृष्टि के काफी गाने रिलीज हो चुके हैं। बरस जा तू ,ज़ी म्यूजिक द्वारा मंज़ूर नज़र, हाथ फड़ ले आदि कई सॉन्ग में वे अपनी आवाज़ का जादू बिखेर चुकी हैं। हिन्दी फिल्म ‘आश्रम’ में उनके द्वारा गाया सोलो सॉन्ग ‘तोरे अंग लग जाऊं’ भी श्रोताओं में काफी पसंदीदा रहा। प्ले बैक सिंगर सृष्टि भंडारी हिन्दी व पंजाबी दोनों भाषाओं में अपनी आवाज़ दे चुकी हैं।
संगीत की शिक्षा और सम्मान
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र की मूल निवासी सृष्टि भंडारी ने गुरमीत सिंह और फिर डॉ. रमेश मिश्रा से गायन कला सीखी। दिल्ली घराने और सुधांशु जी महाराज के सान्निध्य में सृष्टि ने अपनी स्कूली पढ़ाई की। नयी दिल्ली से भी एक लोकप्रिय शास्त्रीय गायिका सुनंदा शर्मा (बनारस घराना) से गायन के गुर सीखे हैं। साल 2009 में उन्हें संगम कला अवार्ड से सम्मानित किया गया। वहीं दिल्ली में आयोजित एक सम्मान समारोह में गायिका सृष्टि ने यश चोपड़ा और सोनू निगम से ग्रुप नेशनल अवार्ड हासिल किया।
शो के साथ भक्ति के सुर भी
साल 2009 में सृष्टि ने टीवी के रियलिटी शो में भाग लिया और सारे गा मा पा लिटिल चैंप में पूरे भारत में शीर्ष नौ प्रतिभाओं में स्थान मिला। वहीं टी सीरीज कंपनी के साथ उन्होंने करीब 25 भक्ति एल्बमों में काम किया। सृष्टि आस्था, दिशा, संस्कार आदि चैनलों के साथ भी काम कर रही हैं। वर्ष 2015 में उन्होंने लोकप्रिय रियलिटी शो द वायस इंडिया में भाग लिया। टीम सुनिधि में काम करके उसने खूब शोहरत पाई और टीम में चौथे स्थान पर रहीं।
हाल ही में उसने सबसे लोकप्रिय कॉमेडी शो में भी भाग लिया। सृष्टि अपनी कामयाबी का श्रेय अपने गुरु, मम्मी-पापा और भाई को देती हैं। सृष्टि के मुताबिक, अगर ये सब मुझे सपोर्ट न करते तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती।