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सोने के शहर में शाही ज़िंदगी के बेशुमार रंग

06:27 AM May 03, 2024 IST

अमिताभ स.
एक दिन की हालिया ताबड़तोड़ बारिश से दुबई पर दुनियाभर की नजरें आ गढ़ीं। इससे पहले तक दुबई में साल भर में बमुश्किल एक-दो बार ही बारिश होती रही हैं- केवल 10-15 मिनट के लिए। इसीलिए वहां इतने पानी के सैलाब की निकासी का इंतजाम नहीं है। बारिश में तो पूरा दुबई बेशक डूब गया, लेकिन वैसे इसकी इमारतें और सड़कें शानदार हैं। रोल्स रॉयज सरीखे की आलीशान कारें दौड़ती हैं, बाइक और साइकिल तो न के बराबर दिखाई देते हैं। भिखारी और आवारा कुत्ते ढूंढ़ते न मिलें। वहां दुनिया के 172 देशों से आकर लोग काम कर रहे हैं। भारत, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार वगैरह ही नहीं, सीरिया, उज़्बेकिस्तान, मिस्र जैसे देश के लोग वहां काम करते मिलते हैं। दुनिया के किसी शहर में इतने देशों के लोग नहीं मिलेंगे। इस लिहाज़ से यह वर्ल्ड सिटी है। मिसाल के तौर पर, अमेरिका के फ़ैशन ब्रांड माइकल कोरस के शोरूम में 17 के स्टाफ में 11 देशों के लोग काम करते हैं, जिनमें इंग्लैंड के मैनेजर, मिस्र का गार्ड, और बाक़ी स्टाफ में भारत, पाकिस्तान, चीन, भूटान, सीरिया, उज़्बेकिस्तान, कज़ाख़िस्तान, केन्या, फ़िलिपींस वगैरह शामिल हैं।
दुबई तेज़ी से बदलता शहर है, शायद दुनिया का कोई शहर इतनी रफ्तार से नहीं बदल रहा। हर लिहाज़ से सुरक्षित है। बेशक बाजारों और मॉल में घूमते-फिरते पारदर्शी कपड़े पहनने की मनाही है। युगल बाहों में बाहें डाले टहलते दिखते हैं। सिगरेट, सिगार और दारू लाने और पीने की छूट है। दुबई शॉपिंग के लिए मशहूर है क्योंकि दुनिया के तमाम इंटरनेशनल ब्रांड हरेक मॉल में मिल जाते हैं। इसीलिए मॉल शॉपिंग का जितना मजा दुबई में है, उतना शायद दुनिया के किसी शहर में नहीं है। हालांकि महंगा तो बहुत है। ‘द दुबई मॉल’, ‘डेटा सिटी सेंटर मॉल’, ‘आईबीएन बट्टा मॉल’ और ‘एमिरेट्स मॉल’ कुछ नामी मॉल हैं। आने-जाने के लिए दुबई रोड एंड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बसें और मेट्रो टैक्सियां हैं।

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एक मिनट में 124वीं मंजिल

दुबई में दुनिया की सबसे ऊंची मीनार बुर्ज ख़लीफ़ा पर चढ़ने का मौक़ा मिलता है। 160 मंजि़ला, कद 829.8 मीटर ऊंचा और 2008 में बन कर तैयार हुई है। महज एक मिनट में लिफ़्ट के जरिए 124 मंजिल तक पहुंच जाते हैं। वहां सैलानी तस्वीरें खींचते हैं। यही नहीं, नज़दीक ही दुनिया का सबसे ऊंचा होटल देखने को मिलता है। नाम है- जिवोरा होटल। यह 74 मंजिला है और 500 से ज़्यादा कमरे हैं। इसके फ्रंट में एक बग्गी सजी है। बताते हैं कि असल में यह बग्गी नहीं, बल्कि 100 साल पुरानी मोटर कार है।

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म्यूज़ियम ऑफ द फ़्यूचर

बीते दो साल से म्यूज़ियम ऑफ द फ़्यूचर सैलानियों के लिए नया आकर्षण बनकर उभरा है। दुबई की सबसे शानदार सड़क शेख़ ज़ायद रोड पर ही है। इसकी दीवारों पर अरब शासकों के अरबी में कोट्स दर्ज हैं। इसमें जाकर, सैलानी 2071 तक के आने वाले दौर में पहुंच जाते हैं। नेशनल ज्योग्राफ़िक ने इसे दुनिया के 14 खूबसूरत म्यूज़ियमों में शुमार किया है। और हां, दुबई के एक मॉल में दुनिया का सबसे बड़ा एक्वेरियम देखने का मौका भी मिलता है। भीतर सुरंगों के जरिए दाखिल हो सकते हैं और 33,000 समुद्री जीवों को नजदीक से देखने का लुत्फ उठा सकते है। बीच के समुद्री जलवे के लिए जुमैरा बीच और रशियन बीच का रुख़ कर सकते हैं।

कराची की रबड़ी कुल्फी

पुराने बाजारों में मीना बाजार का खासा रुतबा है ही। मीना बाज़ार का ‘शहर कराची’ रेस्टोरेंट नॉन-वेज के शौक़ीनों के लिए खास ठिकाना है। पेशावरी कड़ाही मटन, चिकन और चना दाल विद तंदूरी रोटी-नान खाएंगे, तो बार-बार खाना चाहेंगे। लोहे की कड़ाही में बनाते हैं, और उसी कड़ाही में रसोई से सीधे आप के मेज पर पेश करते हैं। कराची से रोज़ उड़ान से बनकर आई रबड़ी और मलाई कुल्फी भी लाजवाब हैं।
दुबई महज रेत और तेल के लिए ही नहीं जाना जाता। पुराना दुबई और डेजर्ट सफ़ारी भी घूमने- फिरने वालों के लिए भी बेशुमार रंग संजोए है। दूर- दूर तक रेगिस्तान, रेत के टीले और उन पर दौड़ती ट्योटा लैंड क्रूजर। शाम के वक्त ट्योटा लैंड क्रूजर में सवार होकर बिग रोड इलाके में पहुंचते हैं, जहां टायरों की हवा कम की जाती है। फिर शुरू होती है रेतीले टीलों और खाइयों का ऊबड़-खाबड़ सफर। हू-ब-हू रोल-ए-कोस्टर जैसा। आगे ऊंटों का फार्म है। देखिए और फिर रुकते हैं रेत के सागर पर। रेत से खेलते हैं, फोटो खिंचवाते हैं। ​रेगिस्तान में डूबता सूरज दिलकश नजारा पेश करता है। आगे कबीला है- ऊंट की सवारी कीजिए और अरबी चाय पीते हैं। खाना-पीना और नाच-गाना सो अलग। आगे का सफर तय करने के लिए गाड़ियों के टायरों में फिर हवा भरते हैं। डेजर्ट सफारी वाकई एक अनुभव है, लेकिन डरने वाले बच्चों और कमजोर दिल वालों के लिए तो कतई नहीं है।

सबसे बड़ी सोने की अंगूठी

एयरपोर्ट से दुबई में प्रवेश करते है सामने लिखा आता है- ‘स्वागत है दुबई सोने के शहर में’। यानी दुबई ‘गोल्ड सिटी’ भी कहलाता है। दुबई की सर्राफा बाजार में हर साल 500 टन से ज्यादा सोना उतरता और खपता है। असल में, आयात शुल्क कम होने की वजह से दुबई में सोना खरीदना दुनिया भर में सबसे सस्ता पड़ता है। बेशक सोना खरीदें या न खरीदें, लेकिन पुराने दुबई में डेरा इलाके के करात बनीयाय स्ट्रीट स्थित ‘सिटी ऑफ गोल्ड’ की पैदल सैर एक यादगार अनुभव है। छोटे- से इलाक़े में, 800 से ज़्यादा जूलरी शोरूम हैं। पूरा बाज़ार ही सुनहरी आभा से दमकता रहता है।
दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज ख़लीफ़ा, सबसे ऊंचा होटल जिवोरा, सबसे महंगे एटलांटिस होटल और सबसे बड़े फोटो फ्रेम के अलावा दुनिया की सबसे बड़ी और भारी सोने की अंगूठी देखने का मौक़ा भी इस बाज़ार में मिलता है। वाकई अनूठी है अंगूठी। भारी-भरकम अंगूठी इसी गोल्ड बाज़ार के शुरू में ही ‘केंज ज्वेल्स’ नाम के शोरूम की विंडो में सजी है। अंगूठी किसी के पहनने के लिए नहीं है, बल्कि गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स भी नाम दर्ज करने लिए बनाई गई है। यह 21 कैरेट शुद्धता के सोने में बनी है। सोने का वजन 58.686 किलो है। नग जड़े हैं, जिनका 5.17 किलो वजन अतिरिक्त है। इसका माप 2.2 मीटर है। अंगूठी का बाहरी घेरा 700 एमएम है, और अंदरूनी घेरा 250 एमएम है। इसे बनाने में 55 सुनारों ने 45 दिनों तक 10-10 घंटे रोज़ काम किया है। यह साल 2000 में बन कर तैयार हुई थी। अनूठी अंगूठी देखकर लोगों की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं और रुक- रुक कर फ़ोटो खींचते हैं।

उड़ान से साढ़े तीन घंटे दूर

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