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आसान नहीं होगा गंगा-यमुना का संगम!

10:42 AM May 13, 2024 IST

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
सोनीपत, 12 मई
सोनीपत में इस बार गंगा और यमुना का ‘संगम’ करने का नारा चल रहा है। ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से काफी महत्वपूर्व इस पार्लियामेंट में चुनावी मुकाबला कांटे का बना हुआ है। हालात ऐसे हैं- न तो भाजपा को कमजोर माना जा सकता और न ही कांग्रेस को कमतर आंक सकते हैं। मुख्य मुकाबला भी दोनों ही पार्टियों में देखने को मिल रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा के सामने जहां तीसरी बार जीत हासिल करने का दबाव है। वहीं, कांग्रेस अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों ने नये चेहरों पर दांव लगाया है। सोनीपत यमुना नदी के साथ सटा है। इस शहर का ताल्लुक महाभारत काल से है। महाभारत के समय इसे ‘इंद्रप्रस्थ’ के नाम से जाना जाता था। इंद्रप्रस्थ उन्हीं पांच गांवों में शामिल है, जो पांडवों ने कौरवों से मांगे थे। जींद भी महाभारत काल से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि जींद स्थित जयंती देवी यानी जीत की देवी मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। महाभारत की लड़ाई के बाद पांडवों ने पिंडारा में पिंडदान किया था। इसलिए इसे पांडु-पिंडारा कहा जाता है। जींद में रानी तालाब भी है।
ऐसे में सोनीपत की चुनावी जंग में धर्म का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। राम मंदिर के उद्घाटन के चर्चे हैं। वहीं, कांग्रेस की ओर से यमुना और गंगा के मिलन का प्रचार किया जा रहा है। दरअसल, कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी हरिद्वार में राजनीतिक तौर पर एक्टिव रहे हैं। वहीं, भाजपा के मोहनलाल बड़ौली का राई हलका यमुना नदी और दिल्ली से सटा है। कांग्रेसी प्रचार कर रहे हैं कि इस बार गंगा और यमुना का संगम हो सकता है।
सोनीपत सीट जाट बहुल है। चूंकि यहां के कुल मतदाताओं में किसी एक जाति में जाट वोटर सबसे अधिक हैं। जाट वोट बैंक का झुकाव कांग्रेस की ओर देखने को मिल रहा है। ऐसे में भाजपा को इस वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए तगड़ी मेहनत करनी होगी। दूसरी ओर, गैर-जाट वोटरों में कई जातियां ऐसी हैं, जो पूरी तरह से साइलेंट हैं। गैर-जाट वोटर को ही भाजपा अपना सबसे बड़ा वोट बैंक मानकर चलती है। लोकसभा के 2014 और 2019 के चुनावों को देखें तो इन वोटरों ने भाजपा का साथ दिया था। यही कारण है कि कांग्रेस गैर-जाट वोट बैंक हासिल करने की जुगत में है। अरसे के बाद सोनीपत सीट से गैर-जाट वह भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतारना कांग्रेस की इसी रणनीति की हिस्सा माना जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा खुद सोनीपत से चुनाव लड़ थे, लेकिन वे भी भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक के मुकाबले एक लाख 64 हजार के लगभग मतों से हार गए थे। कांग्रेस यह अच्छे से जानती है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर सीधे तौर पर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। वर्तमान में सोनीपत संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 9 विधानसभा हलकों में से 3 पर भाजपा और 5 पर कांग्रेस का कब्जा है। सोनीपत से सुरेंद्र पंवार, गोहाना से जगबीर सिंह मलिक, खरखौदा से जयवीर सिंह वाल्मीकि, बरोदा से इंदूराज नरवाल और सफीदों से सुभाष गांगोली कांग्रेस विधायक हैं। वहीं, राई से खुद मोहनलाल बड़ौली, गन्नौर से निर्मल रानी और जींद शहर से डॉ़ कृष्ण मिड्डा भाजपा विधायक हैं। जुलाना में जजपा के अमरजीत ढांडा विधायक हैं।

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जींद स्थित रानी तालाब।

इस तरह से हो रहा काम

इस संसदीय क्षेत्र की दो शहरी सीटों- सोनीपत और जींद पर सभी की नज़रें हैं। भाजपा इन दोनों हलकों में अपनी लीड बढ़ाने की कोशिश में है। कांग्रेस चाहती है कि इन हलकों में अच्छा प्रदर्शन किया जाए। बरोदा, खरखौदा और जुलाना हलके को कांग्रेस अपने लिए सबसे अधिक मजबूत मान रही है। इन हलकों में भाजपा माइक्रो मैनेजमेंट के तहत काम कर रही है, जिससे कांग्रेस को यहां कड़ी चुनौती दी जा सके। वहीं, कांग्रेस इस जुगत में है कि जुलाना, बरोदा और खरखौदा के जरिये जींद और सोनीपत का अंतर पाटते हुए आगे बढ़ा जा सके। सफीदों, राई, गोहाना और गन्नौर हलके में दोनों पार्टियों के बीच कांटे का मुकाबला बनता नजर आ रहा है।

शहरी सीटों पर मतदाता भी अधिक

सोनीपत हलके में सर्वाधिक 2 लाख 45 हजार 732 वोटर हैं। वहीं, जींद शहर में इनकी संख्या 2 लाख 3 हजार 223 है। जींद हलके में कई गांव भी शामिल हैं, लेकिन सोनीपत हलके में गांवों की संख्या मुट्ठीभर है। गोहाना में भी शहरी वोटर काफी हैं, लेकिन इसके साथ बड़े-बड़े गांव भी लगते हैं। गोहाना हलके में कुल 2 लाख 96 हजार 290 मतदाता हैं। खरखौदा शहर में भी भाजपा की मजबूत पकड़ मानी जाती है, लेकिन गांवों में पार्टी को कहीं अधिक पसीना बहाना पड़ रहा है। दिल्ली से सटे इस हलके में एक लाख 79 हजार 540 वोटर हैं।

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सोनीपत के खांडा गांव स्थित स्मारक पर बना तीर्थस्थल।

जुलाना शहर से भाजपा को उम्मीद

जुलाना विधानसभा हलके में आज के दिन बेशक, कांग्रेस मजबूती से काम करती नज़र आ रही है, लेकिन शहर में भाजपा के वर्चस्व को कम नहीं आंक सकते। इस हलके के गांवों में कुछ ऐसे मतदाता भी हैं, जो साइलेंट हैं। साइलेंटर वोटरों ने दोनों ही पार्टियों के नेताओं की चिंता बढ़ाई हुई है। जुलाना में एक लाख 88 हजार 287 वोटर हैं। इसी तरह से राई में एक लाख 98 हजार 103, गन्नौर में एक लाख 96 हजार 596 तथा सफीदों में एक लाख 96 हजार 361 मतदाता हैं। जाट बहुल बरोदा हलके में कुल एक लाख 93 हजार 644 वोटर हैं।

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