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‘पत्थरों का रंग बदलना और टूटना मानव सभ्यता की कहानी’

06:44 AM Nov 06, 2024 IST

 

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चंडीगढ़, 5 नवंबर (ट्रिन्यू)
विरासत के पत्थरों के माध्यम से मानव सभ्यताओं की कहानी बताते हुए पंजाब विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों के शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को एक साथ लाया, जिसने समाज को भूविज्ञान से जोड़ा। इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज (आईयूजीएस) और इंटरनेशनल जियोसाइंस प्रोग्राम-यूनेस्को के हेरिटेज स्टोन्स उप-आयोग (एचएसएस) के तत्वावधान में आयोजित ‘आईयूजीएस हेरिटेज स्टोन्स : भारतीय योगदान’ नामक सेमिनार, जियोहेरिटेज के बारे में जागरूकता पैदा करने का एक प्रयास था।
साहित्य और पत्थरों के बीच एक खूबसूरत रिश्ता बुनते सेमिनार की मुख्य अतिथि डीयूआई प्रो. रूमिना सेठी ने कहा कि पत्थरों का रंग बदलना और टूटना मानव सभ्यता की कहानियां कहता है और ऐतिहासिक चेतना के विचार से जुड़ने के लिए पत्थरों को दार्शनिक तरीके से देखना जरूरी है। प्रोफेसर सेठी ने कई साहित्य कृतियों का हवाला देते हुए कहा कि पत्थर स्थायित्व और नश्वरता दोनों का प्रतीक हैं।
पत्थर विज्ञान में एक और आयाम लाते हुए सम्मानित अतिथि बीएसआईपी, लखनऊ के निदेशक प्रो. महेश ठक्कर ने हमारे जीवन में पत्थरों के महत्व के बारे में बताया और बताया कि कैसे पृथ्वी का इतिहास पत्थरों से जुड़ा हुआ है। सेमिनार के उद्घाटन सत्र में ‘फर्स्ट 55 आईयूजीएस हेरिटेज स्टोन्स’ पुस्तक का विमोचन भी हुआ, जो पिछले 16 वर्षों के दौरान हेरिटेज स्टोन्स समूह के काम का दस्तावेजीकरण करती है।
पंजाब विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग की प्रो. गुरमीत कौर, जो वर्तमान में हेरिटेज स्टोन्स (एचएसएस) पर उप-आयोग की अध्यक्ष और सेमिनार की संयोजक हैं, ने पुस्तक के निर्माण पर एक आकर्षक प्रस्तुति दी। प्रो गंगा राम चौधरी, निदेशक एसएआईएफ, सीआईएल, यूसीआईएम और अध्यक्ष आईआईसी, पीयू ने भी नवाचार और पृथ्वी विज्ञान के बीच संबंध के बारे में बात की।
नूर आर्किटेक्ट कंसल्टेंट्स के संस्थापक श्री नूर दशमेश सिंह ने यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, कॉम्प्लेक्स डु कैपिटोल की वास्तुकला प्रतिभा के पीछे की कहानी साझा की। पीयू की सीडीओई प्रो. योजना रावत ने रॉक गार्डन पर अनूठी प्रस्तुति दी। प्रो. रेमंड दुरईस्वामी ने पश्चिमी घाट के पत्थरों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, प्रो. मनोज पंडित ने राजस्थान के धरोहर पत्थरों का विवरण दिया। एक सांस्कृतिक भूगोलवेत्ता प्रो. सिमरित काहलों ने एक सांस्कृतिक भूगोलवेत्ता के लेंस के माध्यम से पत्थरों पर एक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया। अंग्रेजी
और सांस्कृतिक अध्ययन विभाग के प्रो. अक्षय कुमार ने साहित्य और पत्थर विज्ञान के बीच के बिंदुओं को जोड़ा।

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