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गरीब की पूंजी उसके बच्चे होते हैं, उन्हें खूब पढ़ाएं : डॉ. अरविंद

10:36 AM Jun 22, 2025 IST
गरीब की पूंजी उसके बच्चे होते हैं  उन्हें खूब पढ़ाएं   डॉ  अरविंद
पट्टीकल्याणा में आयोजित समारोह में संबोधित करते डॉ. अरविंद शर्मा। - निस
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विनोद लाहोट/निस
समालखा, 21 जून
पट्टीकल्याणा में वाल्मीकि संत बाबा शिवशाह महाराज के जन्मोत्सव पर आयोजित झंडा रस्म समारोह धूमधाम से मनाया गया। सत्संग के परचारियों व भजन गायकों द्वारा भगवान वाल्मीकि का गुणगान किया गया। रात-भर भगवान वाल्मीकि व धर्म गुरूओं के जयकारे गूंजते रहे। शनिवार सुबह 6 बजे प्राचीन वाल्मीकि मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया। प्रसाद वितरण के साथ इस भव्य समारोह का समापन हुआ। समारोह में मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने भी हाजरी लगाई और धर्म गुरूओं की समाधियों पर मत्था टेककर आर्शीवाद लिया। उन्होंने सत्संग को संबोधित करते हुए कहा कि संतों व गुरूओं ने जो सेवा भाव, प्रेम व भाईचारे का संदेश दिया है, उसी का परिणाम है कि आज पूरे देश से श्रद्धालु आते हैं। साथ ही डॉ. अरविंद शर्मा ने समाज का आह्वान करते हुए कहा कि गरीब की पूंजी उसके बच्चे है। चाहे लड़का हो या लड़की उन्हें, खूब पढ़ाएं, क्योंकि शिक्षा से समाज का उत्थान हो सकता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का भी यही संदेश है कि बच्चो को शिक्षित करें। झंडा रस्म समारोह की आयोजन समिति के महासचिव तिलक राज सरासर व सत्संग के प्रचारी हरिलाल ने बताया कि 294 वर्ष की दीर्घायु के बाद समाधि लेने वाले वाल्मीकि समाज के महान संत बाबा खाक शाह ब्रह्मचारी के परम शिष्य बाबा शिवशाह महाराज जिन्होंने भगवान वाल्मीकि ने सत्संग का प्रचार ही नहीं किया बल्कि वाल्मीकि समाज को धर्म परिवर्तन करने से भी रोका था। मूलरूप से पट्टीकल्याणा के निवासी बाबा शिवशाह ने गांव के ही नेकी शाह व बाल ब्रह्मचारी कंवल शाह महाराज को अपना शिष्य बनाया ओर धर्म का प्रचार किया। इस 2 दिवसीय झंडा समारोह में हरियाणा व दिल्ली समेत देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओ ने आकर वाल्मीकि मंदिर के साथ-साथ महावटी रोड स्थित धर्म गुरू बाबा शिवशाह, नेकी शाह व बाबा कंवल शाह ब्रह्मचारी की समाधियो पर श्रदा से मत्था टेका और परिवार की खुशहाली की मन्नत मांगी। समारोह में हजारों की संख्या मे श्रद्धालुओं के पहुंचने से आयोजकों के प्रबंध बौने साबित हुए। गर्मी के कारण श्रद्धालुओं को समाधियों के सामने खेतों में लेट कर रात गुजारनी पड़ी

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