आया बुलावा मगर कृपा न मिली
सहीराम
देखो जी, भक्तों को जब माता का या उनके किसी अन्य आराध्य का बुलावा आता है तो वे हजारों किलोमीटर की यात्रा करके भी वहां पहुंचते ही हैं। दूरी की परवाह नहीं करते, कष्ट की परवाह नहीं करते। बताते हैं कि नीट के परीक्षार्थी भी ऐसे ही हजारों किलोमीटर की यात्रा करके अपने आराध्य धाम अर्थात् उस परीक्षा केंद्र पहुंचे, जहां उन्हें लाखों रुपये खर्च करके की गयी कोचिंग का, एक साल-दो साल की गयी मेहनत का और दल्लों से किए गए जुगाड़ का फल मिलना था यानी नीट देवी की कृपा प्राप्त होनी थी। कुछ परीक्षार्थियों ने कहा चलो हरियाणा चलना है।
सवाल उठा कि हरियाणा क्यों जाना है तो जवाब मिला कि वहां झज्जर नामक कोई जगह है, जहां के स्कूल एक विशेष में परीक्षा देंगे तो ग्रेस मार्क्स मिलेंगे। क्या नीट में ग्रेस मार्क्स मिलते हैं। नहीं मिलते तो नहीं, पर हमें मिलेंगे और इस तरह हम टॉप करेंगे और फिर टॉप के मेडिकल कालेज में पढ़ेंगे। और टॉप के डॉक्टर बनेंगे-घरवालों ने खुश होते हुए उनकी बात पूरी की। बेचारे परीक्षार्थी उदास हो गए। बोले-जी वो तो पता नहीं। हां, यह भी बात ठीक है, ग्रेस मार्क्स से डॉक्टर बन जाएं, वही क्या कम है।
कुछ परीक्षार्थियों ने कहा चलो गुजरात चलना है। लेकिन अब गुजरात क्यों जाना है, अब तो गुजरात मॉडल पूरे देश में लागू है। नहीं, वहां कोई गोधरा नामक जगह है-परीक्षा देने वहां जाना है। बाप रे-घरवाले डर गए। तुम्हें पता भी है, तुम क्या कह रहे हो, गोधरा के बारे में कुछ जानते भी हो। अरे यह वही गोधरा है जहां कारसेवकों की ट्रेन में आग लगने के बाद गुजरात दंगे हुए थे। नहीं, कुछ नहीं पता, हम तो बस इतना जानते हैं कि गोधरा में कोई जलाराम स्कूल है, वहां पूरा जुगाड़ है। एकदम पक्की सेटिंग है। डॉक्टर बनने की पूरी गारंटी है। आप लोग क्या इसी गुजरात मॉडल की बात कर रहे थे। नहीं-नहीं, यह नया मॉडल है। कुछ परीक्षार्थियों ने कहा चलो बुलावा आया है झारखंड चलना है। अरे झारखंड जाकर क्या करोगे, वहां तो ईडी मुख्यमंत्री तक को नहीं छोड़ती। पकड़ लेती है, जेल में डाल देती है। अरे हमें ईडी से क्या लेना, हमें नीट की परीक्षा देने जाना है। वहां टॉप के नंबर लाने का पूरा जुगाड़ है। कहां है यह झारखंड? अच्छा बिहार की बगल में है।
तो देखो यार झारखंड में कोई जुगाड़ न हो तो बिहार में ही हो जाए। बताते हैं कि वहां तो स्कूलों में भी खूब नकल चलती है। चलती होगी, जरूर चलती होगी। बल्कि अब तो देश की सरकार भी बिहार की मदद से ही चल रही है। इस तरह परीक्षार्थी हजारों किलोमीटर की यात्रा करके हरियाणा के झज्जर, गुजरात के गोधरा और झारखंड तथा बिहार पहुंचे। फिर भी कृपा नहीं मिली क्यों?