For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

1857 की क्रांति हिसार में 29 मई को बजा था बिगुल, डीसी व तहसीलदार समेत मार दिए थे 42 अंग्रेज

10:18 AM May 29, 2024 IST
1857 की क्रांति हिसार में 29 मई को बजा था बिगुल  डीसी व तहसीलदार समेत मार दिए थे 42 अंग्रेज
Advertisement

कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 28 मई।
सन सतावन, मई महीना, तारीख थी वा एक कम तीस,
हांसी और हिसार के म्हां, अंग्रेजा की बांधी घीस,
गोरे अफसर उड़ा दिए भई कर दिए धड़ तै न्यारे शीश,
अफरा-तफरी फैल गई भई प्रशासन को दिया पीस,
अंग्रेजां की तोप देखल्यों कूण्यां के म्हां पड़ी रहीं।
पश्चिमी हरियाणा के क्षेत्र में 1857 के जन विद्रोह की घटना के बारे में लोक गायकों ने राणनी के माध्यम से 29 मई, 1857 को हुई घटना का कुछ इस तरह वर्णन किया। दयानंद महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष एवं हरियाणा में 1857-जन-विद्रोह, दमन व लोक चेतना पुस्तक के लेखक इतिहासकार डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि 29 मई, 1857 को हिसार व हांसी में एक साथ क्रांति की शुरुआती हुई और हिसार के जिला कलेक्टर बैडरबर्न, उसके हैडक्लर्क, तहसीलदार सहित कुल 42 अग्रोहों की हत्या कर दी। हिसार से एक लाख, 70 हजार रुपये का खजाना भी लूटा गया और क्रांतिकारियों ने पूरे प्रशासन पर कब्जा कर लिया।
उन्होंने बताया कि उस समय अंग्रेजों ने हांसी व सिरसा में छावनी स्थापित की हुई थी। हिसार में कैटल फार्म व तोशाम और भिवानी को ऊंटों के व्यापार के लिए चुना था। 1832 में हिसार को जिला मुख्यालय बना दिया जिसका प्रशासनिक दृष्टि से प्रांत मुख्यालय आगरा से संचालन किया गया और इसको दिल्ली डिविजन के अंतर्गत रखा। मेरठ व दिल्ली में 1857 के जन-विद्रोह के बाद हांसी स्थित चौदहवीं इररेग्यूलर कैवलरी में सबसे पहले विद्रोह हुआ और यहां से कुछ सैनिक दिल्ली में क्रांतिकारियों की सेना में जा मिले। इसी तरह हरियाणा लाइट इन्फैंटरी व दादरी कैवलरी में भी हुआ। 27 मई, 1857 को खानजादा मुहम्मद आजम (बरवाला निवासी जिनके पास भट्ठु का क्षेत्र जागीर के रूप में था और मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से उनका पारिवारिक संबंध था) दिल्ली से हिसार आए और कहा कि बहादुर शाह जफर ने उनको इस क्षेत्र का शासन चलाने का अधिकार दिया है। उन्होंने हिसार के उप डिप्टी कलेक्टर शाहबाज बेग से बात की और फिर मोहम्मद आजम, शाहबाद बेग और रुकूनुद्दीन मौलवी की बैठक हुई। शाहबाद बजे व रुकूनुद्दीन ने शहर में नियंत्रण स्थापित करने की जिम्मेदारी ली। बाद में 28 मई को योजना बनाई जिसके तहत डिप्टी कलेक्टर शाहबाज बेग ने 29 मई को बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी ले ली।
सबसे पहले 29 मई को सुबह 11 बजे हांसी स्थित चौदहवीं इररेग्यूलर कैवलरी के जवानों ने विद्रोह कर दिया और कमांडिंग ऑफिसर स्टेफोर्ड को निशाना बनाया लेकिन वह भागकर बीकानेर रियासत के राजगढ़ में चला गया लेकिन क्रांतिकारियों ने 14 अंगेजों को मार दियाय। इसी दिन दादरी कैवलरी के जवान रजब बेग के नेतृत्व में हिसार पहुंचे जिनका हरियाणा लाइट इन्फेंटरी के जवानों ने शाहनूर खान के नेतृत्व में उनका स्वागत किया और दिन में 1 बजे खुला विद्रोह कर दिया। इनके साथ मोहम्मद आजम, रुकूनुद्दीन व नंबरदार करीम खान भी थे।
इसके बाद हुई घटना के बारे में जिला कलेक्टर कार्यालय के क्लर्क स्मिथ ने 5 जून, 1857 को वर्णन किया। स्मिथ के अनुसार दिन के 1 बजे घुड़सवारों का एक दस्ता हिसार आया और इसी दस्ते के सैनिकों ने जिला कलेक्टर बैडरबर्न की गोली मारकर हत्या कर दी। हैड क्लर्क घोड़ा बग्गी लेकर भागा लेकिन उसका भी कत्ल कर दिया। स्मिथ स्वयं भागकर बच निकलने में सफल रहा। इसके बाद क्रांतिकारियों ने जेल में जाकर सभी कैदियों को रिहा करवा दिया और एक अनय अधिकारी डेनियल की हत्या कर दी और कचहरी व राजस्व विभाग से एक लाख, 70 हजार रुपये लूट लिए। दोपहर बाद क्रांतिकारियों ने किले में सात और कैटल फार्म में तीन अंग्रेजों को मार गिराया। इसी दिन कचहरी में तहसीलदार थॉमसन को उसके चपरासी ने गोली मार दी। इस तरह शाम तक हिसार व हांसी में कोई भी अंग्रेज नहीं बचा और मोहम्मद आजम इस क्षेत्र का मुखिया बन गया।
इसके बाद 6 जून को मोहम्मद आजम यहां से कुछ सैनिक और रुपये लेकर बहादुर शाह जफर की सहायता के लिए दिल्ली चला गया और हांसी में क्रांतिकारियों की गतिविधियों का नेतृत्व हुकम चंद जैन, फकीर जैन, मुर्तजा बेग, मुनीर बेग ने किया और प्रशासनिक व्यवस्था चलाई।
मिर्जा अब्दुला ने की अंग्रेजों की सेवा
हिसार में अग्रेजों ने राजगढ़ की तरफ जाकर अपनी जान बचाई जहां पर मिर्जा अब्दुला ने उनकी सेवा की। इसी दौरान हांसी से भागते हुए स्किनर को घेर लिया जो बीकानेर की सेना के आने के बाद भागने में सफल हुआ।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
×