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कभी भी गिर सकत्ता है रत्ता नदी पर बना पुल

08:15 AM Jul 03, 2025 IST
बद्दी के रत्ता नदी पुल की जर्जर हालात को बयान करती तस्वीर।-निस

बीबीएन, 2 जुलाई (निस)
बद्दी-नालागढ़ राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर रत्ता नदी पर बना पुल ढहने की कगार पर है। रत्ता नदी पुल पूरी तरह से खोखला हो गया है। पुल को बचाने के लिए वर्षों पहले लगाई गई बैड प्रोटेक्शन का ज्यादातर हिस्सा बाढ़ में बह चुका है। अब आलम यह है कि पुल अपनी अन्तिम सांसें गिन रहा है। हालांकि बुधवार को एनएचएआई ने पुल को बचाने के लिए बरसाती बाढ़ को डाइवर्ट करने के साथ-साथ बैड प्रोटेक्शन के बचाव का काम शुरू कर दिया है लेकिन क्या बरसात में विभाग का बचाव कार्य सिरे चढ़ पाएगा यह सवाल क्षेत्र में हर नागरिक के जहन में है। रत्ता नदी पर बना पुल औद्योगिक क्षेत्र बद्दी - नालागढ़ को आपस में जोड़ने में एक कड़ी का काम करता है। बीते एक दशक से पुल पूरी तरह से जर्जर हालत में है लेकिन हैरानी की बात है इस पुल की जर्जर दशा न तो स्थानीय लीडरशिप को नजर आई और न ही स्थानीय प्रशासन व एनएचएआई को दिखाई दी। बीते तीन वर्षों से भी ज्यादा समय से एनएचआईए ने बद्दी-नालागढ़ फोरलेन बनाने का काम शुरू कर रखा है लेकिन इस मार्ग पर जर्जर हालात से जूझ रहे पुलों के लिए कोई पहल नहीं दिखाई गई है। रत्ता नदी के पुल पर यदि कोई परेशानी इस बरसात में खड़ी हो जाती है तो उद्योगों के साथ-साथ आम जनता को भारी नुक्सान झेलना पड़ सकता है।
रत्ता नदी पुल के एक तरफ लगभग 30 फीट गहराई हो गई जबकि दूसरी तरफ बैड प्रोटेक्शन के चलते बचाव बना हुआ है। वहीं इस बारे पूर्व प्रधान प्रितम चंद, पूर्व प्रधान करनैल सिंह, भाग सिंह कुंडलस, गुरदास चंदेल, सुभाष ठाकुर, गुरदयाल सिंह ठाकुर, गुरचरण सिंह, गुरनाम सिंह, जयराम चौधरी, मास्टर इन्द्रराम, रामलाल, रणजीत सिंह, श्यामलाल आदि ने अरोप लगाया कि रत्ता नदी का पुल विभागीय अनदेखी का शिकार हो कर रह गया है। उन्होंने कहा कि यह पुल एनएचआईए द्वारा प्रथम चरण में ही बनाया जाना चहिए था। उन्होंने कहा कि इस पुल पर बद्दी-नालागढ़ की पूरी आवाजाही निर्भर है। यदि यहां कोई परेशानी खड़ी होती है तो इसके लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार होगा।

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नदी के बहाव को मोड़ने के प्रयास

इस बारे में एनएचआइए के साइट इंचार्ज दिनेश पूनिया व मैनेजर असलम खान ने बताया कि रत्ता नदी पर बने पुल के बचाव के लिए काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बैड प्रोटेक्शन के काम के साथ ही नदी के बहाव को भी मोड़ने का काम किया जा रहा है।

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