पेंशन के लिये वीरांगना ने दी थी याचिका, कोर्ट के निर्णय से पहले हो गई मृत्यु
नारनौल, 3 दिसंबर (हप्र)
स्वतंत्रता सेनानी की वीरांगना को उसकी मौत के 1 महीने बाद न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी ने उसकी पेंशन नहीं मिलने पर कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट में अब उनकी याचिका की सुनवाई के लिए 13 दिसंबर को मामले को सूचीबद्ध किया है। ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी की मौत के 1 महीने बाद उनको हाई कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में सरकार की तरफ से ढिलाई बरती गई थी।
2012 में दायर की थी याचिका
जानकारी के अनुसार नांगल चौधरी खंड के गांव सिलारपुर निवासी बर्फी देवी के पति सुल्तान राम को 1972 से 2011 तक स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिलता रहा लेकिन उनका प्रमाण पत्र अपडेट होने में देर होने के कारण बाद में उनका दर्जा बंद कर दिया गया । हालांकि 2012 में उनकी मृत्यु हो गई और उनकी पत्नी बर्फी देवी तब से स्वतंत्रता सेनानी के आश्रित के रूप में पेंशन पाने के लिए के मुकदमा लड़ रही थीं। उनके मुकदमे में महेंद्रगढ़ के डीसी कार्यालय ने भी सभी गांव की पुष्टि करने के बाद केंद्र को उनका मामला सौंपने की सिफारिश की थी। आखिरकार सितंबर 2023 में पेंशन नहीं मिलने के कारण उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में रिपोर्ट मांगी हाईकोर्ट ने केंद्र पर दो बार जुर्माना भी लगाया एक बार जो भी अप्रैल को हाई कोर्ट ने 15000 का जुर्माना तथा दूसरी बार 24 जुलाई 2024 को सरकार पर 25000 का जुर्माना लगाया गया।
केंद्र ने कोर्ट की चेतावनी के बाद जवाब दाखिल किया
हाई कोर्ट द्वारा दो बार केंद्र पर जुर्माना लगाए जाने तथा चेतावनी के बाद अपना जवाब आप दाखिल किया है। इसके बाद मामले को 13 दिसंबर 2024 को सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने सूचीबद्ध किया, लेकिन पेंशन के लिए बर्फी देवी का इंतजार उनकी मृत्यु तक रहा 9 नवंबर 2024 को उनकी मौत हो गई उनकी मौत के एक महीने बाद अब हाई कोर्ट से उनको न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
उनकी बेटी सुमित्रा देवी व ज्ञान देवी ने बताया कि उनकी मां की मौत इस बात की शिकायत के साथ हुई कि उन्हें पिता की पेंशन नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी मां इस मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थी, क्योंकि उन्हें अपने पति की पेंशन नहीं मिल पा रही थी। उन्होंने कहा कि उन्हें खेद है कि केंद्र ने एक और कई कमजोर आधारों पर दावा करने में देरी की और ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने दावा करने में देरी की है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि उनके पास सभी दस्तावेज थे। यहां तक की राज्य सरकार ने भी उनका समर्थन किया था। उनकी मौत के बाद हमें यह जानने की जरूरत है कि केंद्र ने जो आधार बताए हैं क्या वे अनदेखी के लायक थे।
इस बारे में वकील रविंद्र ढुल ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष बर्फी देवी का मामला रखा। उन्होंने कहा कि पिछले साल यह मामला दायर किया गया था। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार ने पिछले कुछ वर्षों में गृह मंत्रालय को भेजे गए संदेशों का एक बड़ा रिकॉर्ड भी संभाल कर रखा हुआ है।