पक्षियों की अद्भुत संवाद कला
के.पी.सिंह
भले ही आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने कितनी ही तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन उस दिन को भला कौन भुला सकता है, जब पक्षियों का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया जाता था। इसके अतिरिक्त, यदि पक्षियों की रंग-बिरंगी दुनिया को गौर से देखें, तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पक्षी जगत के इस रंग-बिरंगे अनोखे संसार में तरह-तरह की चिड़ियां होती हैं, जो हमें तो देखने में एक-सी लगती हैं, पर वे आपस में बहुत भिन्न होती हैं।
प्राचीनकाल में पक्षी संदेश पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम थे। वे अपनी विशिष्ट आवाज, अभिनय और शरीर पर पहने गए अभूषणों से संदेश प्रसारित करते थे। तोते जैसे पक्षी तो शब्दों को भी बोल सकते थे, जिससे वैज्ञानिक भी चकित हो गए। अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि पक्षियों में भी सीमित मात्रा में सीखने की अद्भुत क्षमता होती है, और वे दोस्त-दुश्मन को पहचानने में सक्षम होते हैं। इसी कारण से वे अपने राजाओं को शत्रुओं से सावधान करने का कार्य करते थे।
पक्षियों का आचरण प्रायः भिन्न-भिन्न होता है। कान खुजलाने, चहचहाने तथा खांसने जैसी तंत्रिका क्रियाएं इनमें मनुष्य जैसी ही होती है। चिड़िया जन्म से ही अपने माता-पिता को पहचान लेती है। जहां भी जायें वे उनके पीछे-पीछे ही घूमती रहती हैं। एक रोचक प्रयोग के अंतर्गत ऐसा पाया गया है कि जिस वैज्ञानिक ने हंसिनी के अंडों को अंडे सेने की मशीन में रखा, अंडों के फूटने पर जब बच्चे निकले, तो वे उस वैज्ञानिक को अपना समझकर उसके पीछे घूमते रहते थे। इसका अर्थ यह है कि उनमें सोचने, समझने की शक्ति है। अपने रहने के लिए अधिकतर पक्षी अपने घोसले इतने मजबूत बनाते हैं कि ये कई साल तक हर मौसम में ये टिके रहते हैं।
जहां तक इनके उड़ने का प्रश्न है, तो यह तो आपको मालूम ही है कि ये पंखों की मदद से उड़ते हैं। सभी पक्षियों के पंख एक जैसे होते हैं, लेकिन इनकी उड़ने की क्षमता अलग-अलग होती है। कुछ पक्षी बिना पंख फड़फड़ाये अधिक ऊंचाई पर लम्बे समय तक वातावरण के ऊष्मीय वायु प्रवाह की मदद से उड़ते रहते हैं। लेकिन कुछ केवल छोटी उड़ान भर सकते हैं। इनके कुल कितने पंख होते हैं? आज तक इस विषय में अनिश्चितता बनी हुई है। वैसे वैज्ञानिक दृष्टि में गाने वाले सभी पक्षियों में औसतन 1,100 से 4,600 पंख पाये जाते हैं। क्या आप विश्वास करेंगे कि हमारे आसपास मंडराती छोटी-छोटी चिड़ियों के शरीर पर भी 3,550 से अधिक पंख होते हैं? कई चिड़ियाएं उपयुक्त स्थानों की तलाश में मौसम-दर-मौसम हमेशा उड़ती रहती हैं। माइग्रेशन यानी स्थानांतरण का वास्तविक कारण आज तक वैज्ञानिकों को पता नहीं चल पाया है, किंतु कहा जाता है कि अधिक ठंड या गर्मी होने से उन्हें भोजन के अभाव में स्थान बदलना पड़ता है। आज जितने भी हवाई जहाज उड़ रहे हैं, सभी पक्षियों के पंखों के आधार पर ही बनाये गए हैं। विमानों और पक्षियों के पंखों के नीचे हवा का दाब पंखों के ऊपर की अपेक्षा अधिक होने से ये दीर्घकाल तक हवा में रह सकते हैं। दोनों अपनी पंूछ की मदद से दिशा बदल सकते हैं।
पानी में रहने वाले पक्षी तैरते हैं, जबकि कुछ केवल पैरों पर चलते हैं। उनकी चोंच न केवल भोजन के लिए, बल्कि रक्षा के लिए भी उपयोगी होती है, जो बंदरों और सांपों को भी घायल कर सकती है। बड़े पक्षी अपने शिकार को पैरों से पकड़ते हैं। अधिकांश पक्षियों में वाकेन्द्रियां होती हैं, जो गाने में मदद करती हैं, खासकर नर पक्षी मादा को आकर्षित करने के लिए मीठी आवाज में गाते हैं। नर पक्षी इस प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन मादा का निर्णय अंतिम होता है। इसके लिए नरों के बीच न कोई संघर्ष होता है और न ही किसी प्रकार का वाद-विवाद। कुछ नर मादाओं को आकर्षित करने के लिए मोहक नृत्य भी करते हैं, तो कुछ अपने पंखों को फैलाते हैं और कुछ नर तो सुंदर से सुंदर घोसले बनाकर मादाओं को रिझाने की कोशिश करते हैं। बाज और उल्लू जैसे पक्षी अपना आजीवन एक जीवनसाथी चुनते हैं। वहीं कुछ पक्षी हर साल मादाओं को बदलते रहते हैं। इसके अतिरिक्त, संकट के समय ये ऐसी विशेष आवाज निकलते है, जिसे सभी पक्षी सुनते हैं और इसके बाद ये अपनी अपनी रक्षा में जुट जाते हैं।
पक्षी हमारे लिए कितने उपयोगी हैं इसका अंदाजा हजारों वर्ष पहले रोम के कोयला खदानों में मीथेन गैस के रिसाव से होने वाली दुर्घटना को हंस द्वारा बचाये जाने से लगाया जा सकता है। उस समय अगर कोयला खदान के आसपास मौजूद हंस ने मीथेन गैस को तीव्रता से सूंघने पर जोर-जोर से चिल्लाकर आगाह न किया होता, तो इस दुर्घटना में हजारों की जाने चली जातीं। इस घटना से आश्चर्यचकित होकर वैज्ञानिक आज तक इसका कारण जानने में लगे हुए हैं कि ऐसा क्या है, इन चिड़ियों में जो ये हानिकारक रसायनों को पहचान लेते हैं? आज भी अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि किसी भी स्थान पर गैस के रिसने से होने वाली दुर्घटना के आसपास मंडराने वाले पक्षी इंसान को चिल्लाकर चेतावनी अवश्य देते हैं। इसलिए आज आवश्यकता है, इन्हें पहचानने की, इनकी भाषा समझने की व इनसे पूर्णतः दोस्ती करने की ताकि हम इनका पूरा-पूरा उपयोग कर सकें।
इ.रि.सें.