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33% पर हुआ था समझौता, अधिकारियों ने नहीं किया मुख्यमंत्री के आदेशों का इंतजार

08:24 AM Jul 13, 2024 IST
33  पर हुआ था समझौता  अधिकारियों ने नहीं किया मुख्यमंत्री के आदेशों का इंतजार
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जीत सिंह सैनी / निस
गुहला चीका, 12 जुलाई
गेहूं घटौती का सौ प्रतिशत आढ़तियों से काटे जाने पर चीका के आढ़तियों में फूड एंड सप्लाई खरीद एजेंसी के खिलाफ रोष है। इस मामले में आढ़तियों ने आज एक बैठक मंडी प्रधान जयपाल गर्ग की अध्यक्षता में बुलाई। मंडी प्रधान जयपाल गर्ग ने बताया कि इस गेहूं घटौती को लेकर प्रदेश के आढ़तियों की एक बैठक मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ चंडीगढ़ में गत एक जुलाई को हुई थी। बैठक में आढ़तियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष गेहूं घटौती का पैसा आढ़तियों से वसूले जाने पर नाराजगी प्रकट की थी। आढ़तियों ने मुख्यमंत्री को बताया था कि खरीदी गई गेहूं उठाने की जिम्मेदारी संंबधित खरीद एजेंसी व ठेकेदार की होती है। यदि गेहूं को समय रहते मंडी से नहीं उठाया जाता तो उसके लिए इन्हीं लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। आढ़तियों पर यह वजन डालना सरासर गलत है। गर्ग ने बताया कि बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी ने आढ़तियों को आश्वस्त किया था कि गेहूं घटौती का पूरा पैसा आढ़तियों से नहीं वसूला जाएगा। मुख्यमंत्री ने आदेश जारी किए थे कि घटौती का 33% पैसा संबंधित खरीद एजेंसी वहन करेगी, जबकि 33 % ठेकेदार व तैंतीस प्रतिशत आढ़तियों से लिया जाएगा। इस फैसले पर प्रदेश के सभी आढ़तियों ने सहमति जताई थी लेकिन अब फूड सप्लाई विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के आदेशों का इंतजार किए बिना ही आढ़तियों से गेहूं घटौती की सौ प्रतिशत राशि काट ली।

खरीद एजेंसी को सरकार के आदेशों का इंतजार

एक तरफ जहां फूड एंड सप्लाई खरीद एजेंसी ने आढ़तियों से घटौती का सौ प्रतिशत पैसा काटा है वहीं दूसरी खरीद एजेंसी हैफेड अभी इंतजार में है। हैफेड चीका के मैनेजर राजेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री व आढ़तियों के बीच बैठक होने की सूचना उनके अधिकारियों को भी मिली थी, जिसके चलते उनकी एजेंसी इस मामले में सरकार के आदेशों का इंतजार कर रही है। कोई लिखित आदेश नहीं मिलते तो घटौती की पूरी राशि आढ़तियों से वसूली जाएगी। फूड एंड सप्लाई खरीद एजेंसी चीका के इंस्पेक्टर जयभगवान ने कहा कि उनका काम गेहूं घटौती की डिटेल बनाकर हैडक्वाटर को भेजना होता है। किसी भी तरह की छूट देना या ना देना उच्च अधिकारियों के स्तर का काम होता। स्थानीय स्तर पर इसमें कुछ नहीं किया जा सकता।

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