सीडीएलयू में हुआ 11वें त्रिवेणी युवा महोत्सव का आगाज
सिरसा, 15 नवंबर (हप्र)
शैक्षणिक संस्थान भारतीय संस्कृति के रखरखाव एवं विस्तार में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत की संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है और इसका डंका विश्वभर में बजता है। इस संस्कृति की बदौलत ही भारतीय युवाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा विश्वभर में मनवाया है। शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने में युवा महोत्सव महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ये विचार चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय, भिवानी की कुलपति प्रोफेसर दीप्ति धर्माणी ने चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के युवा कल्याण निदेशालय द्वारा आयोजित 11वें त्रिवेणी युवा महोत्सव का उद्घाटन करने के उपरांत व्यक्त किए। बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर धर्माणी ने कहा कि इस प्रकार के महोत्सव न केवल कला और सांस्कृतिक धरोहर के रख-रखाव में कारगर साबित होते हैं बल्कि इनका प्रचार प्रसार भी करते हैं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजमेर सिंह मलिक ने कहा कि ऐसे महोत्सव न केवल विद्यार्थियों की कला प्रतिभा को मंच प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति की विविधताओं को जानने और समझने का अवसर भी देते हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार बंसल ने मुख्य अतिथि व बाहर से आए हुए मेहमानों का स्वागत किया जबकि युवा कल्याण निदेशक डॉ. मंजू नेहरा ने कार्यक्रम के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। धन्यवाद प्रस्ताव डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर राजकुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन व गणेश वंदना के साथ हुई। महोत्सव में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थियों ने पारंपरिक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां दीं। इन प्रस्तुतियों में पंजाबी फोक डांस, हरियाणवी और राजस्थानी लोक नृत्य शामिल थे, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और सांस्कृतिक विविधता की सुंदरता को प्रस्तुत किया।