कानून के पाठ्यांशों की सटीक व्याख्या के ग्रंथ तैयार
चंडीगढ़, 20 जनवरी (ट्रिन्यू)
भारतीय न्याय व्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ते हुए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और विद्वान लेखक डॉ. केके खंडेलवाल द्वारा लिखित तीन कानूनी ग्रंथों का विमोचन 23 जनवरी को किया जाएगा। इन ग्रंथों में भारतीय न्याय प्रणाली के नवीनतम आपराधिक कानूनों पर विस्तृत और गहन टिप्पणी की गई है।
यह ऐतिहासिक कार्यक्रम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के परिसर में स्थित मुख्य बार एसोसिएशन रूम में शाम 4:30 बजे आयोजित होगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में चीफ जस्टिस शील नागू पुस्तकों का विमोचन करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के पूर्व चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल करेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष जसदेव सिंह बराड़ के स्वागत भाषण से होगी। समारोह का संचालन बार एसोसिएशन के मानद सचिव स्वर्ण सिंह तिवाना करेंगे। इस अवसर पर बार एसोसिएशन के कई वरिष्ठ सदस्य और कानूनी विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।
ये हैं विशेषताएं
डॉ. खंडेलवाल द्वारा लिखित ये तीन ग्रंथ – 'भारतीय न्याय संहिता पर विवेचना और टिप्पणी,' 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर विवेचना और टिप्पणी,' और 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर विवेचना और
टिप्पणी' नए आपराधिक कानूनों पर पहली व्यापक और प्रामाणिक टिप्पणी माने जा रहे हैं। प्रत्येक ग्रंथ दो खंडों में विभाजित है और प्रत्येक में 2500 से अधिक पृष्ठ हैं। ये ग्रंथ कानूनों की बारीकियों, व्याख्या और जटिलताओं पर गहन दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। डॉ. खंडेलवाल की
यह कृतियां नए कानूनों के व्यावहारिक और सैद्धांतिक पहलुओं को उजागर करती हैं। ये केवल कानून के पाठ्यांशों का वर्णन नहीं करतीं, बल्कि उनकी व्याख्या और उन्हें सही तरीके से लागू करने के मार्गदर्शन का काम भी करती हैं।
लेखक का परिचय और योगदान
डॉ. के.के. खंडेलवाल हरियाणा कैडर के 1985 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में, वे भारत स्काउट्स और गाइड्स के राष्ट्रीय आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं। उनके नाम पर प्रबंधन, कला, संस्कृति और कानून से संबंधित तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों का लेखन है। उनकी नवीनतम पुस्तकें न्याय प्रणाली को सरल, प्रभावी और आधुनिक बनाने में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जा रही हैं।