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दुनियादारी की परीक्षा

06:27 AM Nov 04, 2024 IST
दुनियादारी की परीक्षा
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सुधा देवरानी

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बचपन से परीक्षाओं में उत्तीर्ण और कक्षा में अव्वल रहने वाले ज्यादातर लोगों को अपनी बुद्धिमानी पर कोई शक नहीं रहता। उन्हें विश्वास हो जाता है कि जीवन की अन्य परीक्षाएं भी वे अपनी बुद्धि के बल पास कर ही लेंगे। अक्सर उन्हें नहीं पता होता कि जीवन की ये परीक्षाएं कुछ अलग ही होंगी, जिसमें प्रतिस्पर्धी अपने ही होंगे। पढ़ाई, नौकरी संबंधी परीक्षा पास करने की कला अलग होती है और दुनियादारी की परीक्षा देना एक अलग तरह की कला होती है।
लेकिन, जब बात प्रतिस्पर्धा की हो और प्रतिस्पर्धा में अपने लोग हों तो अलग तरह की बात निकलकर आती है। जब पता चलता भी है तो वे सोचते हैं कि अपनों से ही प्रतिस्पर्धा में भला क्या डर! ऐसे में तो हार भी अपनी तो जीत भी अपनी। वे प्रतिस्पर्धा में इसी भाव के साथ सम्मिलित होते है, सबसे अपनापन और स्नेह के भाव लिए। फिर आसान से लगने वाले इस मसले पर वे अपने प्रतिस्पर्धियों से दो कदम आगे बढ़ते ही अकेले हो जाते हैं। क्योंकि अपनों के साथ होने वाली ऐसी प्रतिस्पर्धाएं अक्सर आगे बढ़ने की होती ही नहीं, ये प्रतिस्पर्धाएं तो किसी को आगे न बढ़ने देने की होती हैं। हां, ये प्रतिस्पर्धाएं ऊपर उठने की भी नहीं होती, बल्कि ऊपर उठने वाले को खींचकर नीचे गिराने की होती हैं। बेशक, हर मामले में ऐसा नहीं होता, लेकिन ज्यादातर मामलों में दुनियादारी इसी तरह की होती है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कुछ लोग हैं जो न पीछे धकेले जाते हैं और न ही नीचे गिराए जाते हैं। वे अकेले हो जाते हैं जीवन की राहों में। फिर अक्सर भुला दिये जाते हैं अपनों द्वारा। या फिर त्याग दिए जाते हैं, गये बीते की तरह। उनके सभी अपने वहीं होतें है सब एक साथ। जाने वाले का गढ़ देते है अपना मनचाहा प्रारूप। आगे बढ़ने वालों को आगे बढ़कर भी खुशी नहीं मिल पाती, बल्कि मलाल रहता है।
दरअसल, उन्हें लगता है कि उनका कोई अपना नहीं, जो उनके सुख-दुख में साथ हो। वो अकेले हैं और अब उनका कोई प्रतिस्पर्धी भी नहीं। मन की खिन्नता के चलते वे पीछे भी लौट नहीं पाते और आगे बढ़ना भी उनके लिए निरर्थक-सा हो जाता है। फिर वे भी ठहर से जाते हैं तब तक, जब तक उन्हें बोध नहीं होता है कि हमारी असली प्रतिस्पर्धा तो अपने आप से है। इसलिए जीवन की राह में स्कूली, कॉलेज या अन्य परीक्षाओं से इतर की परीक्षाओं के लिए भी सहज भाव से तैयार रहिए।
साभार : एक नयी सोच ब्लॉग डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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