Terror of monkeys जींद में सिविल अस्पताल में बंदरों का आतंक, 4 साल में 32 पत्रों के बावजूद समाधान नहीं
जींद, 17 दिसंबर
Terror of monkeys जींद के सिविल अस्पताल में बंदरों का आतंक लगातार बना हुआ है। पिछले 4 सालों में स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ ने डीसी को 32 पत्र लिखे, लेकिन समाधान के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं हुईं। इस साल 24 मार्च को नगर परिषद की टीम बंदर पकड़ने तो आई, लेकिन खानापूर्ति कर वापस चली गई। तब से अब तक स्थिति जस की तस है और नगर परिषद के कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग का फोन तक नहीं उठा रहे।
अस्पताल परिसर के पास स्थित धार्मिक ट्रस्ट के बाग से बंदरों के झुंड सिविल अस्पताल में डेरा डाले रहते हैं। मरीजों, उनके परिजनों और अस्पताल स्टाफ को हर समय बंदरों से खतरा बना रहता है। कई लोग बंदरों के हमले में घायल हो चुके हैं। खासतौर पर महिला कर्मचारी और बच्चे अधिक डरे हुए हैं। कई बार तो बंदर इंडोर वार्ड में घुसकर मरीजों पर हमला कर चुके हैं। बंदर अस्पताल परिसर में खड़ी गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। वे गाड़ियों के एंटीना चबा देते हैं और प्लास्टिक के सामान को तोड़-फोड़ देते हैं।
Terror of monkeys खानापूर्ति और अनदेखी
स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ के अध्यक्ष राममेहर वर्मा के अनुसार मार्च में 15-20 बंदर पकड़ने के बाद टीम ने वापस आने का वादा किया था, लेकिन 6 महीने से कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार संघ ने फिर से डीसी को पत्र लिखकर बंदरों से अस्पताल को मुक्त कराने की मांग की है।